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अपेक्षा और उपेक्षा

23 जुलाई 2022

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रचनाएँ
ख्वाब तो रुकते नहीं
5.0
मैं इस पुस्तक की लेखिका रश्मि गुप्ता, उम्र के हर स्वाद का रसपान कर चुकी हूँ और कहीं भी इसे मैंने नीरस नहीं पाया है। हर चीज यहां अपना एक विशेष स्थान रखती है। चाहे फूल ही या कांटा, दोनों की बराबर अहमियत है । लीक से हटकर अंधेरे, समस्या को ऊंची पायदान पर रखा है मैंने, जो अवश्य ही हमारी उर्जा को और बल देते हैं। कविता की कुछ पंक्तियाँ मुझे बहुत पसंद हैं । जैसे बत्तियां बुझा दो, क्योंकि अंधेरे को सौगात मिली है, सुख सुकून और शांति की । वो अंधेरा ही तो है, जो एक दिये से जगमगा उठता है। अंधेरा होते ही पक्षी भी चले जाते हैं अपने घौंसले में। पक्षी ही क्यों मंदिर के कपाट भी बंद हो जाते हैं भगवान् भी कुछ देर चैन से सो जाते हैं । एक कविता कुछ यूँ है । राह में यदि दीवार ना होती तो कूदने की यह रफ्तार न होती। सब के लिए बहुत कुछ है इसमें मनोरंजन के लिए भी और एक सार्थक मनन के लिए भी । पढ़कर हंसी आये तो मुझे जरूर बताना । अलबत्ता कभी उदास न होना क्योंकि ये किताब लिखी है मैंने हर चेहरे पर मुस्कान बिखेरने के लिए। आपकी प्रशंसा और आपके सुझाव दोनों ही शिरौधार्य है। मैं इतजार करुंगी आपके प्यार का । आप सबको सुख समृद्धि सफलता और सम्मान के लिए मेरी अनेकोनेक शुभकामनाएँ । सदैव सब की शुभचिंतक ---------रश्मि
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लेखिका का संक्षिप्त परिचय

23 जुलाई 2022
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मैं रश्मि हूँ  बहुत आम इंसान हूँ मेरा सौभाग्य है कि,  मैं एक स्वतंत्रता सेनानी  की बेटी हूँ।  दो डाक्टर बचचो की माँ हूँ  दो डाक्टर बच्चों की सासू माँ हूँ ।  मैं हरियाणा के रिवाड़ी शहर में जन्मी

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जीवन सारा एक परीक्षा

23 जुलाई 2022
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जीवन सारा एक परीक्षा, खत्म नही हो पातीं है  । शुरू दूसरी हो जाती,  पहली की पारी जाती है।  नये नमूने, नई इबारत, नये सवाल दिखाती है। पास फेल का सभी नतीजा, हमसे ही पुछवाती है।  कहते हैं, छोटा बच्चा,

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आज विश्व कविता दिवस है

23 जुलाई 2022
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आज विश्व कविता दिवस है । कोई कविता गढ़ जाये शायद  जब जब आंखें उठाती हूँ, तेरी तस्वीर पर निगाह चली जाती है ।  कैसे कैद हो गये हो ,इस तस्वीर में तुम।  बेजान सी लगती ये तस्वीर ,  बहुत शानदार है,

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गणतंत्र दिवस

23 जुलाई 2022
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ये कैसा गणतंत्र दिवस,हर साल मनाते हैं ।  चार, पांच, दस गीत, राष्ट्र भक्ति के गाते हें ।  श्रृद्धा से ध्वज को नमन करें, हम शीश नवाते हैं ।  हर साल इसी विधि , हम सारे एक, रस्म, निभाते हैं ।  गण से

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कतरा कतरा जिंदगी

23 जुलाई 2022
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कतरा कतरा जिंदगी आंसू में बहती जा रही है ।   सुख के कारण लाख हैं  और दुख के केवल एक, दो ।  फिर भी आंसू छलकतें हैं  क्यों न वो मुस्कुरा रही है  ।  महल सी सुंदर इमारत, खंडहरों में बदलती है ।  बं

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मातृ दिवस पर मां के लिए विशेष

23 जुलाई 2022
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माँ तुम भूलने की चीज़ नहीं हो ।  तुम पूज्य हो, तुम  जीवन की दाता हो ।  मैं औरों की बात नहीं  करती,  मेरे लिए तो तुम ही विधाता हो ।  भगवान को तो मैं केवल दुख में ही याद करती हूँ,  पर तुम, तुम त

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बरसों बाद

23 जुलाई 2022
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आज सरसों बाद अटैची में रखे सूटों के कपड़े सम्हाले मैंने, शायद जिंदगी से उम्मीद जगी है कुछ,  इसलिए बुझते चिराग उजाले  मैंने।  बेसब्री से इंतजार है सिलने वाले का, शायद सूटों के साथ, जीवन की उधड़न

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मेरा देश महान

23 जुलाई 2022
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ये मेरा देश महान है, मेरा दिल है मेरी जान है  कोई ऐसा देश न विश्व में, इसकी अलग पहचान है  ये अनेकता का देश है, फिर भी तो केवल एक है  इसकी यही तो शान है, ये मेरा देश महान है  कई बोलियाँ कई वेश

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काश!

23 जुलाई 2022
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काश! मेरे सपने के स्वर्ग में कोई मेरे साथ चले।  टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी हो,  रस्ता भूल भूलभुलैया हो  खोने का डर बना रहे  पर साथ साथ विश्वास चले   काश!मेरे। सपने के स्वर्ग में कोई मेरे साथ चले । चलते

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समस्या

23 जुलाई 2022
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क्या समस्या ही है ,समाधान  मेरी समस्या का।  मेरी समस्या है कि, काटे नही कटता है वक्त  ।   मैं समझती हूँ घिरि रहती हूँ, समस्याओं से ।  किसी मसीहा कि तरह, आतीं हैंं मुसीबत दर पे  उनकों सुलझाने म

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हौसले बुलंद हैं

23 जुलाई 2022
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हौसलों की रेत में खुशी के बीज बो रहे ।  कदम, कदम के कंटकों की नोंक को भिगो रहे ।  बढ़ रहे हैं शान से, खेलें हम ईमान से  निडर हैं ,तैयार हैं , भिड़ने को हर अंजाम से ।  वीर हैं हम धीर हैं इंसान की

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मैं पक्षी बन जाऊं

23 जुलाई 2022
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डाल डाल पर करुं बसेरा, मीठा मीठा गाऊंं ।  मैं पक्षी बन जाऊं ।  मैं पक्षी बन जाऊं।  कोयल बन, अम्बुआ की डाली,  फुदक फूदक लहराऊं।  मीठी तान सुनाऊं ऐसी हर मन को बहलाऊं  मैं पक्षी बन जाऊं।  मैं पक

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तुम इतनी शक्ति भर दो

23 जुलाई 2022
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नीलकंठ बन गये हलाहल पीली तुमनें इस कड़वे सच का एक घूंट मैं भी पी जाऊं मुझ में इतनी शक्ति भर दो  ये सच है, तप तप कर ही बनता कुंदन सोना  पर बड़ा कठिन है, अंगारों के ऊपर सोना  मेरे नैनो को बरसा बर

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शहीद की माँ

23 जुलाई 2022
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कैसा लगता होगा जब कोई  खबर गाँव में जाती होगी।  बिन बादल के जैसे कोई  बिजली सी गिर जाती होगी ।   कैसे माँ सुन पाती होगी,  बेटा एक शहीद हुआ ।   आंखों के आंसू को कैसे,  हल्के से बहलाती होगी । 

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दिवसों की जिंदगी

23 जुलाई 2022
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दिवस मनाते मनाते ही, जीवन बीता जा रहा है  ।  सच पूछो तो अवसाद सा हो गया है ,  जीवन का आंनद रीता जा रहा है ।  किसने किस दिवस पर क्या दे दिया होगा, किस ने क्या ले  लिया होगा ।  कौन रुठ गया होगा, उप

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प्रति दिन

23 जुलाई 2022
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चाय के प्याले में घुल जाती है  सब व्यथा कथा , हर्षोंउल्लास भक्ति और ज्ञान, अध्यात्म और विज्ञान  ।  मैं घूंट घूंट, पी जाती हूँ  सब आंसू सब मुस्कान ।  पेपर हाथ में पकड़ते ही :- कहीँ मुस्कु

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दिन और रात की समांतर सड़क पर, पूरे 54 साल तक चलते रहे

23 जुलाई 2022
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मुझे याद नहीं कि कभी, कुछ कहा हो हम दोनों ने आपस में । कुछ प्यार जताने मे ।  एक आदत के तहत जी रहे थे हम, बेफ्रिक, जानते थे एक दूजे की कमी बेशी  कभी कुछ कहने की जरूरत पड़ी ही नहीं हंसाने में, रुलान

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दादी याद आती है

23 जुलाई 2022
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जब बालों में तेल लगाती हूँ  , दादी याद आती है ।  कैसे बाल जूट के हो जाते हैं अब बात समझ में आतीं है।  कहां चला जाता है इतना तेल , सर में कोई छेद है क्या ?  तब तो जादू सा लगता था , अब हकीकत सामने   

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इच्छा

23 जुलाई 2022
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मैं हूँ कितनी निर्धन, या फिर हूँ कितनी धनवान मुझे मालूम नहीं ।  तुम भी मेरा सुख दुख बांटो ,  मेरी गहरी इच्छा है ।  छोटे छोटे मोती जैसे आंसू हैं, जो बरबस झर जाते हैं ।  बेबस ,बेघर ,बेचारों को जब

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तम्बोला

23 जुलाई 2022
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बेशक! वो जूआ है, जो खेलते हैं हम  फिर भी खूबियां हैं ज्यादा और खामियां है कम ।   खिलखिला लेते हैं, खुलकर  जबकि दांत जबड़े में नहीं हैं ।  क्या बुरी है वो हंसी, जो छुपा  देती है चंद घंटो के लिए

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चलो बचपन के घर चलते हैं

23 जुलाई 2022
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ठंड का आलम है, तापेंगे हाथ हम ।  चूल्हे के पास बैठ कर खायेंगे साग हम ।  मक्का की रोटियों  संग, घी की होगी बाढ़,  काजू बदाम जेब में, पिस्ता का होगा दम ।  गरमा गरम मलाई, जिसने भी ना हो खाई ।  बचप

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महिला दिवस पर

23 जुलाई 2022
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मैं तुम्हें महिला बनने को कह रही हूँ, विद्रोही नही।  एक सशक्त महिला , एक  सुदृढ़ महिला एक सुयोग्य महिला एक सबल महिला।  जिसकी सुंदरता उसके तन से नही, उसके मन से मापी जाये।  जिसकों खुश करने के लिए

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राष्ट्र प्रेम (एक गीत)

23 जुलाई 2022
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मैं जन जन को समझाऊँ, एक नया गीत मैं गाऊं ।  इस देश से नाम हमारा, ये देश है भारत प्यारा ।  ये वेदों का है सानी, इसकी है अमिट कहानी ।  इसकी सन्स्कृति पुरानी, कण कण में बसी निशानी ।  यहाँ तरह तरह की

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समझौता

23 जुलाई 2022
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गुजरते वक्त के साथ समझौता मैंने किया या उसने  , ये बात बेमानी है  बहरहाल कट रही है जिंदगी, जो हर हाल में कटानी है ।  कहानी बदल तो नहीं जाती, किरदार बदलने से, बदला है किरदार कहानी तो वही पुरानी है

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कवि तुमको कुछ करना होगा

23 जुलाई 2022
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पंख फैलाये आसमान में उड़ जाना तो सुंदर है  पर पंख समेटे इसी धरा। का रुप तुम्हे बदलाना होगा।  नीड़ तुम्हारा बना यंही पर  तुमको उसे बचाना होगा।  कवि तुमको कुछ करनाहोगा।  एक एक तिनके को लाकर पक्षी

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मुझे पसंद है

23 जुलाई 2022
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सुबह की लालिमा, रात की कालिमा,  पक्षियों की चहक, फूलो की महक  नदियों की कलकल, बच्चों की हलचल  बादलों की घड़घड, रेल की खड़खड़  गरमी का पसीना, बारिश की बौछार  सावन के झूले, और कजरी के राग  हाथों म

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विश्व हंसी दिवस

23 जुलाई 2022
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हंस रहा है सारा जग, यूं जग हंसाई हो रही है ।  साल में एक बार हंसने की रस्म अदाई हो रही है ।     सच है ये, हंसना हंसाना दोनों मुश्किल काम हैं  इस कला में बड़े लोगों का बड़ा ही नाम है ।   रो रहे क

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मंजिल पाना आसान नहीं

23 जुलाई 2022
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उपवन में अब फूल नहीं,  फिर भी जेहन में महक भरी,  भीनी भीनी खुशबू का अहसास अभी भी बाकी है  कुछ ओठों पर मुस्कान खिले  ऐसा प्रयास, अभी भी बाकी है । केवट को मालूम है सब,  क्या होता है, नैय्या खेना

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काउच

23 जुलाई 2022
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काउच तुम तो धन्य हो, धन्य तुम्हारे भाग्य।   आने जाने वालों को देते, लेटने, बैठने  का सौभाग्य ।  तुम खुद लेटे रहते हो, इस इंतजार में । घर कोई आये,मेरे, कभी तो मेरे प्यार में ।  छोटे, बड़े का भेदभा

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सौगात

23 जुलाई 2022
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बत्तियां बुझा दो क्योकिं अंधेरों को सौगात मिली है सुख सुकून और शांति की  वो रात ही तो है जो दिन की भागा दौड़ी को अलविदा कहती है  चैन की नींद को आगोश में भर लेती है  वो रात ही तो है लोरी के इंतजार

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अपेक्षा और उपेक्षा

23 जुलाई 2022
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उपेक्षा से किनारा करना है, तो, अपेक्षा करना ही  छोड़ दो ।  पर अपेक्षा, उपेक्षा की इस  मुहिम में, सुकून दिल का न तोड़ दो .  चलते चलो बढ़ते रहो , नज़र रौशन है जब तलक ।  गुमराह तुमको आंधियांं रस्तों

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ये हो न सका

23 जुलाई 2022
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इस जीवन में कोई झमेला न होता ।  मन आदमी का जो मैला न होता ।   गर चलते चलते न राहें बदलता ।  मंजिल पे अपनी नजर आया होता  अगर भूख से ज्यादा खाया न होता ।  जरुरत से ज्यादा बचाया न होता ।  दौलत के ह

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नववर्ष

23 जुलाई 2022
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नववर्ष मुबारक हो सबको सब अपनो को, बेगानों को । सब घर आये भहमानों को  भूले बिसरे भगवानों को ,  धरती को स्वर्ग बनाते जो , ऐसे उत्तम इंसानों को   जो रूठ गये अनजाने में या बिछुड़े किसी जमाने में , 

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अंतहीन

23 जुलाई 2022
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इस बंदरबांट में बिल्लियाँ ठगी सी खड़ी हैं ।  अवाक! खाली हाथों को मलती हैं ।  गलती पर पछताती हैं ।  काश! हमने तू, तू मैं मैं ना की होती ।  बांट कर खा लेते आधा आधा ।  क्या जरूरत थी बंदर को बतान

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मेरी श्रृद्धांजलि

23 जुलाई 2022
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वो, मेरी समधन थीं, बहुत उदास हूं, मैं उनके जाने से,  ये कहने की कोई बात नहीं, जिग़र का रिश्ता था ।  सुबह सवेरे की राम-राम, रात को फिर से याद करना उनका,  बहुत याद आता है, उनका यूं प्यार भरा नमस्का

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मणिकर्णिका

23 जुलाई 2022
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(-झांसी की रानी)  जिंदा है मणिकर्णिका आज भी जहान में  । लड़ रही है वो लड़ाई, युद्ध के मैदान में ।  निर्बलाओंं को सबल करने में, बल अपना लगाती ।  हक दिलाती, कद बढ़ाती,  काढ़ती  है वो कशीदे,  न

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जाने! कहाँ खो गई

23 जुलाई 2022
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आथी रात बीतने को है,  ना जाने वो कहां खो गई ।  नींद बुढ़ापे की है, जाने कैसे इतनी चचंल हो गई ।  जब मरजी हो जब आती है,  जब मरजी हो तब जाती है ।  उसकी मनमरजी के आगे,  मैं अबला लाचार हो गई।  नींद

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मेरा घर

23 जुलाई 2022
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मेरा घर कितना सुंदर है ।  हरियाली के बीच बना ये,  धूप छांओं का ये संगम है ।  कभी कबूतर की गुटरुंगु,  और कभी बिल्ली की म्याऊं  ये सब इसकी सुंदरता में ,  शामिल है ।   बच्चे सभी मचाते हल्ला, 

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मैं मजदूर हूँ

23 जुलाई 2022
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मैं मजदूर हूँ, मैं मजदूर हूँ ।  गाँव में मजदूर हूँ,  और शहर में मजदूर हूँ।  में हर मजे से दूर हूँ,  मैं इसलिए  मजदूर  हूँ।  मैं उगाता, मैं कटाता, मैं पिराता हूँ फसल ।  दाने दाने को तरस जाता, 

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आया वसंत आया वसंत

23 जुलाई 2022
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आया वसंत आया वसंत  प्रिय दर्शन की अभिलाषा लाया वसंत लाया वसंत।  माँ सरस्वती की महर हुई  ।  वीणा झनकी हर डगर डगर।  हर प्राणी, मदहोश हुआ,  क्या पेड़, पात क्या अरुणाकर ।  पौधौं ने नव श्रंगार कर

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स्वर्ग

23 जुलाई 2022
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एक तराजू के दो पलड़े,  नर और नारी ।  इन पलड़ों में तुल जाती है,  सृष्टि सारी ।   इन पलड़ों में एक तरफ सम्मान बिठाओ .  फिर भी पलड़ा ऊंचा हो तो,  थोड़ा सा तुम प्यार मिलाओ।  फिर न रहेगी, ऊंच,

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बेटों को सीख

23 जुलाई 2022
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बेटों का गुण गान सदा से करते आये हैं ।  हमनें आज नये नारे बहुओं के लगाये हैं ।  तुमको तो कुछ काम काज से फुर्सत ना होगी ।  बहू हमारे साथ बैठकर नाचे , गायेगी।  बहुओं को हम अपने दिल का हाल सुनायेंग

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ख़्वाब तो रुकते नहीं हैं

23 जुलाई 2022
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ख़्वाब तो रुकते नहीं हैं, नींद  के न आने से ।  इन आँखों में नींद नहीं आई है, जमाने से ।  बचपन में नींद मुझको आती जरूर होगी ।  माँ मुझको थपकियाँ दे के सुलाती होगी ।  मुझको पता नहीं क्या गाती थी

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जब एक इमारत बनती है

23 जुलाई 2022
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हर कण कण का अहसान चढ़ा होता हैं उस पर ।  हर बूंद बूंद का योगदान,  बलिदान चढ़ा होता है उस पर।  मानव मस्तक की सूझबूझ और ढ़ेरों खून पसीना बहता,  तब जाकर परवान चढ़ा होता  है वह घर ।  जितना सुदृढ़ मह

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कुछ किस्से ऐसे होते हैं

23 जुलाई 2022
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कुछ किस्से ऐसे होते हैं, जो कहने में नहीं आते हैं।  कहने में जी कतराता है, पर किस्से बदल न जाते हैं ।   मैं सुख अपना किससे बांटू,  कोई अपना सा दिखता ही नहीं,  अफसोस भीड़ के रेले में हम, खड़े अके

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आओ कुछ देर हंसे

23 जुलाई 2022
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 इक दिन प्यारी सी सासू मां Hot Seat पर जा बैठी।  13 प्रश्नों को हल करके 7 करोड़ हथिया बैठी ।  फुलझड़ियां झड़ रही स्टेज पर, ढोल नगाड़े बाज रहे ।  बरसे फूल पड़ी गलमाला,  अमिताभ ने उसे सम्भाला  पा

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तब क्या होगा

23 जुलाई 2022
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जरा सी बातें, उड़ा देतीं  हैं नींद रातों की, कोई हादसा बड़ा हुआ तो क्या होगा।  बिना तजुर्बे कैसे समझूं     मै ये सब,कोई हादसा हो जाने दो।  जमीं से आसमां पे चढ़ना अजुबा है यदि  , तो क्यूँ आसमां स

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चलचित्र

23 जुलाई 2022
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 चलचित्र की तरह चंचल   हो रही है सोच मेरी, पल भर में  तोला पल भर में माशा।  शायद किनारा बहुत करीब है पर किनारे की कीचड़ फिसला देती है मंसूबे मेरे।  हैरान भी हूँ कुछ कुछ, कुछ परेशान भी हूँ पर यकीन

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कविता

23 जुलाई 2022
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इक अश्रु से सागर भर दे,  इतनी गहरी होती कविता। जो इक कण से सृष्टि रच दे,  इतनी अदभुत होती कविता। । जो इंद्र धनुष में रंग भर दे, इतनी सुरम्य होती कविता।   जो बांध सके इक क्षण में युग, ऐसी विस्तृत हो

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ये बीते दिनों की बात है

23 जुलाई 2022
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कहां गये वो पत्तल दोंने,  कहाँ गई जौनारें ।  कहाँ गए कोठय्हार,  मिठाई लेटी पैर पसारे ।  कहां गये बूंदी के लड्डू,  चली गई किस जगह कचौरी।  भुजिया निमकी कुछ नहीं दिखते, कहाँ चले गये सारे।  शाद

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मूल्यांकन

23 जुलाई 2022
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जीवन सबका लगभग लगभग ऐसा होता है।  पड़ा कांच की झोली में,  ज्यूं हीरा सोता है  ।  चमक कांच की से तो सब,  चुंधियाते रहते हैं ।  पर हीरा मटमैला सा, हिम्मत को खोता है ।  तुम सारे अनमोल रत्न हो, 

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