'अर्चना' में ऐसे गीत भी हैं, जो इस बात की सूचना देते हैं कि कवि अब महानगर और नगरों को छोड़कर अपने गाँव आ गया है ! उनका कालजयी और अपनी सरलता में बेमिसाल गीत 'बांधो न नाव इस ठांव, बंधू !/पूछेगा सारा गाँव, बंधु! ' 'अर्चना' की ही रचना हैं, जिसमें गाँव की एक घटना के सौन्दर्यात्मक पक्ष का चित्रण किया है !
7 फ़ॉलोअर्स
14 किताबें