यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष, इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है। … जैसे 'उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै', निराला की कविता आकाश में चक्कर काटने के बाद इसी धरती पर लौट आती है।
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