नई दिल्ली: आर्थिक स्वतंत्रता के एक वार्षिक सूचकांक में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और यह 123 स्थान से खिसक कर 143वें स्थान पर आ गया है। एक अमेरिकी शोध संस्थान 'द हेरिटेज फाउंडेशन' की 'इंडेक्स ऑफ इकनॉमिक फ्रीडम' में भारत की रैकिंग उसके पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान समेत कई दक्षिण एशियाई देशों से पीछे है। इसकी मुख्य वजह भारत के बाजार को ध्यान में रखकर किए गए आर्थिक सुधारों से होने वाले विकास का असमान होना बताया गया है। भारत ने इस सूचकांक में कुल 52.6 अंक प्राप्त किए है जो कि बीते वर्ष की तुलना में 3.6 अंक कम है। बीते वर्ष इस सूचकांक में भारत की रैंकिंग 123 थी।
आखिर क्यों गिरी भारत की रैंकिंग
इस सूचकांक में भारत में बीते पांच साल में औसतन सात फ़ीसदी की दर से सतत वृद्धि हुई है। लेकिन यह वृद्धि नीतियों में गहरे तक नहीं समाई है जिससे कि आर्थिक स्वतंत्रता का संरक्षण किया जा सके। इस कंजरवेटिव राजनीति क विचारधारा के शोध समूह की रिपोर्ट में भारत को अधिकांशतया गैर-खुली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि भारत में बाजार आधारित सुधारों से हुई प्रगति असमान रही है।
चीन की रैंकिंग में सुधार
इस रिपोर्ट के मुताबिक़ चीन ने 57.4 अंक प्राप्त किए जो कि बीते वर्ष की तुलना में 5.4 अंक ज्यादा है। इस वर्ष उसका स्थान 111 वां रहा है। वहीं, अमेरिका 75.1 अंक हासिल कर 17वें स्थान पर रहा है। इस सूचकांक में वैश्विक औसत 60.9 अंक रहा जो कि बीते 23 वर्ष में रिकॉर्ड उच्चस्तर है।
हांगकांग, सिंगापुर और न्यूजीलैंड रहे टॉप पर
इस सूचकांक में हांगकांग, सिंगापुर और न्यूजीलैंड टॉप पर रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों में भारत से पीछे अफगानिस्तान 163 और मालदीव 157वें स्थान पर हैं। वहीं, इस सूचकांक में नेपाल का स्थान 125, श्रीलंका का 112, पाकिस्तान का 141, भूटान का 107 और बांग्लादेश का 128 रहा है।