... 1979-1985 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि असम में बिना किसी मुस्लिम पार्टी के सपोर्ट के सरकार बनने जा रही है, जाहिर है इसे वहां के जनमानस में भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं मुख्य्मंत्री तरुण गोगोई पिछले तीन टर्म से असम में सत्ता सम्भाले हुए हैं, किन्तु असम की हालत ये है कि वहां की एक तिहाई जनता गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है. इस प्रदेश की लगभग 86 %आबादी ग्रामीण है और उनका मुख्य रोजगार कृषि है. असम की अर्थ व्यवस्था में कृषि का योगदान 1950 में 55 % था,जो 2015 में घट कर 17% तक आ गया है. जाहिर है, जब कृषि प्रधान प्रदेश में आप कृषि को बचाने की जुगत ही नहीं करेंगे तो समस्या उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है. ऐसे ही, सेहत और स्वच्छता के मामले में भी असम देश के बदतर राज्यों में एक है, जिसका परिणाम कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी को अबकी बार भुगतना पड़ा है. हालाँकि, विश्लेषक असम में भाजपा की जीत पर सर्वानंद सोनोवाल को याद करना नहीं भूल रहे हैं, जिसका सीधा कारण यही है कि नरेंद्र मोदी के संदेशों और छवि का प्रचार इस नेता ने बखूबी किया, जो असम के नागरिकों तक पहुंचा भी! वहीं असम की सबसे मजबूत ...
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