अंगूरी देवी एक रौबीली चौधराइन है ,उसका छोटा बेटा निहाल ,जब कॉलिज में पढ़ता था तब उसे कामिनी मिली, जो उसी की सहपाठिन थी। निहाल स्वभाव में बेहद शर्मिला और शांत लड़का था। वो कामिनी की सुंदरता पर मुग्ध था किन्तु अपने स्वभाव के कारण ,उसे नीची नज़रों से ताड़ता रहता। और जब कामिनी की नजर उससे मिलती तो झेंप जाता ,इसी कारण से कामिनी ने उसका नाम 'झेंपू 'रख दिया। वैसे तो निहाल सामान्य व्यक्तित्व का व्यक्ति था किन्तु बहुत अधिक पैसे वाले परिवार से संबंध रखता है और सबसे अलग -थलग ही रहता है। कुछ उसके इस व्यवहार को उसका घमंडीपन समझते हैं ,कुछ शर्मीलापन। कामिनी को उसका व्यक्तित्व अपनी और खींचता नज़र आता है ,जिसका कारण वह स्वयं ही नहीं समझ पा रही है।
एक दिन कामिनी अपने दोस्तों के संग ,घूमने का कार्यक्रम बनाती है किन्तु वहाँ कुछ बदमाश उन सबको पकड़ लेते हैं ,जो लड़कियों को छेड़ते हैं और लड़कों का सामान लूटने की योजना बनाते हैं किन्तु उसके कुछ समय पश्चात ,निहाल अपनी मोटरसाइकिल पर आकर उन्हें आश्चर्यचकित कर देता है। किन्तु कोई नहीं समझ पाता कि ये बचाने आया है या किसी और कार्य से। उधर वो बदमाश भी उसके व्यवहार को देखकर , समझ नहीं पा रहे थे कि ये पुलिसवाला है या कोई और ,वो एक व्यक्ति को उसके पास भेजते हैं ,अब आगे -
बदमाशों में से एक व्यक्ति सड़क पार करके ये पता लगाने आता है कि ये जो मोटरसाइकिल वाला व्यक्ति है ,अकेला है या कोई और भी उसके साथ है या फिर कोई पुलिसवाला। वो उसके नज़दीक पहुंचकर कहता है -ऐ !तुम कौन हो ?निहाल ने जबाब दिया -मैं इंसान हूँ।' तमीज़ से बात करो 'वो झल्लाकर बोला -तुम यहां क्या कर रहे हो ?सड़क के दूसरे किनारे के पेड़ों की ओट से सब देख रहे थे कि कुछ बात तो हो रही है किन्तु क्या ?ये किसी को पता नहीं चल पा रहा था । वो उससे कुछ बातें करता है और दोनों दूसरी ओर के पेड़ों के पास चले जाते हैं। दूर से किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उन लोगों ने क्या बातें कीं ?और वे लोग कहाँ जा रहे हैं ?कुछ समय पश्चात ,निहाल आता दिखाई देता है किन्तु वो व्यक्ति कहाँ गया ?सभी के चेहरों पर यही प्रश्न उभर आया। निहाल पहले की तरह टहलने लगा किन्तु उन बदमाशों में चिंता की लहर दौड़ गयी कि हमारा आदमी कहाँ गया ?एक बड़ी जोर से चिल्लाया -अरे दीनू !तू जा...... जाकर जरा देख तो, सलीम कहाँ गया ?कहीं इस लौंडे ने कुछ कर करा तो नहीं दिया।
दीनू तेज़ कदमों से चलता हुआ ,निहाल के नजदीक पहुंचता है और कहता है कि-'' सलीम कहाँ है ''?निहाल बोला -मुझे क्या पता ?दीनू -अभी वो जो तुम्हारे पास आया था। निहाल कुछ स्मरण करते हुए ,-अच्छा वो आदमी ,वो तो मुझसे कह रहा था ,कि मुझे पेशाब जाना है ,मैंने उसे जगह बता दी। दीनू उसकी बात पर अविश्वास करके बोला -क्या बकवास है ?वो क्यों ऐसा पूछेगा ?निहाल लापरवाही से बोला -मुझे क्या मालूम ?तुम चाहो तो उसी से पूछ लो ,आता ही होगा। दस मिनट इंतजार के बाद भी वो नहीं आया ,उधर निहाल फोन पर बातें करने लगा। दीनू बोला -वो तो नहीं आया। निहाल बोला -चलो ,चलकर देख लेते हैं। वो दोनों फिर से उन्हीं पेड़ों के अंदर चले गये। उसके दोस्त झुंझला रहे थे कि ये कर क्या रहा है ?यदि इसके पास फोन है तो पुलिस को क्यों नहीं बुला लेता ?कुछ समय पश्चात ,निहाल फिर से अकेला ही बाहर आ गया। अब तो जिसने कामिनी को कब्ज़े में ले रखा था ,वो झुंझलाया और बोला -ये क्या हो रहा है ?वे चार लोग थे ,दो तो इस लड़के के कारण पता नहीं कहाँ रह गए ?उन्हें लगा ,ये अवश्य ही कोई पुलिसवाला है। उनकी घबराहट देखकर ,उन लड़कों में भी हिम्मत आई वे लोग पांच थे और तीन लड़कियाँ थीं। सभी लड़कियाँ धीरे -धीरे एक ओर ख़िसक गयीं और लड़कों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया और दीपक ने झटके से एक को दबोच लिया और यश ने उसका चाकू छीना और सभी एक साथ उन दोनों पर टूट पड़े।
अभी हाथापाई हो ही रही थी कि पुलिस आ गयी ,तब निहाल ने बताया -मैंने ही आप लोगों को फोन किया था। दो तो इधर पड़े हैं और बाक़ी के उधर हैं। चारों बदमाश पकड़े गए ,पुलिस निहाल की प्रशंसा करती हुई ,चली गयी। वीरेंद्र बोला -यार निहाल !ये सब तूने कैसे किया ?और तू यहाँ कैसे आ गया ?निहाल बोला -वो तो मैं अचानक ही इधर से गुज़र रहा था ,तभी मुझे लगा -शायद कुछ गड़बड़ है ,वैसे मुझे नहीं पता था, कि मेरे ही सहपाठी फ़ँसे हैं।तब मैंने वापस आकर यहां का जायज़ा लिया ,पता नहीं, कितने लोग हो सकते हैं ?मैंने पहले पुलिस को फ़ोन किया ,फिर जो हुआ -तुम्हारे सामने है। कामिनी उनकी बातें ध्यान से सुन रही थी और मन ही मन निहाल पर रिझती जा रही थी। यश बोला -तू यहां खड़ा क्या कर रहा था ?हमें बचाने नहीं आ सकता था। उन गुंडों को पेड़ों के बीच में ,क्या कहकर ले जा रहा था और उनके साथ क्या किया ?पहले तो निहाल बोला -इसमें मैं क्या कर सकता था ?यदि मैं ये जताता कि मैं तुम लोगों में से ही एक हूँ ,तो मैं भी उनकी गिरफ़्त में आ जाता और उनके पास चाकू भी थे। तब मैंने इस तरह दिखाया कि मैं किसी से बात कर रहा हूँ जबकि मैं पुलिस को ही नक्शा समझा रहा था। उनका पहला बदमाश ,जब वो मेरे पास आया तो बोला -तुम क्या कर रहे हो ?मैंने कहा -ये बाग़ मेरा है और मैं कल यहाँ आया था तब मेरी सोने की चेन और सोने की घड़ी यहां रह गयी ,मैं अब वो ही लेने आया हूँ और यहां के रखवाले को फ़ोन कर रहा हूँ।किन्तु वो तो कह रहा है कि जो भी सामान होगा , वहीं है। तब वो बदमाश बोला -आइये ,चलिए ,मैं आपकी मदद करता हूँ।
जब हम अंदर गए ,तब उसने मेरी तरफ मुड़कर देखा और पूछा - आपने अपना सामान कहाँ छोड़ा था ?तभी मैंने इस स्प्रे से उस पर प्रहार किया और उसकी ऑंखें जलने लगीं। सभी लड़कियों ने उत्सुकतावश उस स्प्रे को देखा और बोलीं -ये क्या है ?निहाल मुस्कुराकर बोला - इसे 'पेपर स्प्रे ''कहते हैं। बड़े -बड़े शहरों में लड़कियाँ ,अपने बचाव के लिए, इसे अपने पास रखती हैं। कामिनी बोली -मैंने भी इसके विषय में पढ़ा है किन्तु कभी इसकी आवश्यकता महसूस ही नहीं हुई , किन्तु तुम्हारे पास कैसे ? निहाल बोला -ये मैंने अभी जब आगे गया था ,तब खरीदा ,ये यहां भी मिलता है, किन्तु कम ही खरीदा जाता है। इससे तो आँखों में जलन ही होती है ,तब तुमने क्या किया ?निहाल बोला -मेरे नानाजी के यहां ,मैंने सीखा, कि गर्दन के पास कोई नस होती है ,उस पर आक्रमण करो तो व्यक्ति बेहोश हो जाता है ,वही मैंने किया।कृति बोली -जब तुम्हें इतना सब आता था तो इसमें इतना नाटक करने की क्या आवश्यकता थी ?सीधे जाते और गुंडों पर आक्रमण करते ,कृति ने ऐसे हाथ -पैर चलाये कि सबके चेहरों पर मुस्कुराहट आ गयी। मैं कोई फिल्मी अभिनेता नहीं ,कि आया और गुंडों से हाथापाई करने लगा। सोच -समझकर चलना पड़ता है ,मुझे तो पता नहीं था कि कितने लोग हैं ?और मेरे किसी भी व्यवहार से किसी की भी जान को ख़तरा हो सकता था। क्या पता ,मैं भी उनकी गिरफ़्त में आ जाता। उनको कमज़ोर करना आवश्यक था ,जब उधर कम लोग रह गए तभी तुमने उन दोनों पर क़ाबू किया बाक़ी काम पुलिस का।
सभी दोस्त जिस गाड़ी से आये थे ,उसी से वापस आ गए। निहाल अपनी मोटरसाइकिल पर ही था। आज तो वो सभी की नजरों में' हीरो 'ही था और उनकी चर्चा का विषय भी। अगले दिन कॉलिज में ये बात फैल गयी और चर्चा का विषय भी बना रहा । कामिनी सोच रही थी, कि कल जो निहाल का रूप मैंने देखा और यहां ,जिस निहाल को देखते हैं ,उससे कितना अलग था ?मोटरसाईकिल पर कितना जँच रहा था ? प्रतिदिन ये ऐसे ही क्यों नहीं रहता ?यहां तो झेंपू सा ही रहता है। तभी उसे विचार आया -क्या ये संयोग ही था कि वो उधर से निकला या फिर मेरे पीछे....... सोचकर ही वो मुस्कुराने लगी। उसके दिल ने कहा -पूछकर देखती हूँ , किन्तु तभी अंदर से आवाज़ आई -यदि उसने इंकार कर दिया तो....... तेरा ये भ्र्म भी टूट जायेगा। वो अपने इस भ्र्म को इसी तरह रहने देना चाहती थी।कुछ क्षण के लिए उसे ,ध्यान आया कि यदि कल निहाल समय पर नहीं पहुँचता तो उसका क्या होता ?क्या पता ,वे लोग उसे उठाकर कहीं और ले जाते ?या फिर चाकू से वहीं गर्दन धड़ से अलग कर देते ,सोचकर ही वो सिहर उठी। तभी उसे खिड़की में से प्रतिदिन की तरह ,निहाल आता दिखा ,उसका दिल जोरों से धड़कने लगा और अपने दिल पर काबू करने के लिए उसने अपने बस्ते में से कोई भी पुस्तक निकाली और धड़कते दिल से उसे पढ़ने का अभिनय करने लगी।
कामिनी ने यह बात अभी तक अपने घर में किसी को भी नहीं बताई क्योंकि वे सब घबरा जाते ,शा यद कॉलिज भी न भेजते। वो इसी तरह अपनी पुस्तक पढ़ने का अभिनय करती रही ,जैसे उसने निहाल को देखा ही नहीं। निहाल कक्षा में आया और एक नजर चारों और डाली और आकर अपनी जगह पर बैठ गया।