हैदराबाद: उस लड़की ने बाल-विवाह का विरोध किया। परिवार से दो टूक कहा कि हमें पढ़ना है। फिर भी घर वाले नहीं माने तो लड़की ने पुलिस की मदद ली। दरअसल पिछले साल अप्रैल में संध्या को हैदराबाद के रंगा रेड्डी जिले से उस मुक्त कराया गया था, जब उसके घर वाले उसका बाल विवाह करा रहे थे. संध्या के पिता 10वीं की परीक्षा के बीच में उसकी शादी करवा रहे थे. उस वक्त इस लड़की की उम्र 16 साल थी. एनडीटीवी और सामाजिक संस्था की मदद से संध्या को बाल विवाह का शिकार होने से बचाया गया था. एक साल बाद संध्या ने 11वीं की परीक्षा में 93 फीसदी नंबर से पास हुई है. दिलचस्प बात यह है कि इस नंबर से संध्या खुश नहीं है. संध्या ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि मैंने सभी प्रश्नों को अच्छे से हल किया था, उस हिसाब से नंबर नहीं आए हैं, मैं री-एग्जॉम के लिए जाना चाहूंगी.' बाल विवाह रोके जाने के करीब 15 दिनों बाद ही संध्या के पिता की मौत हो गई थी, वे शराबी थे. संध्या कहती है कि आज अगर उसके पिता जिंदा होते तो उन्हें गर्व महसूस होता.
इस लड़की की सफलता के चर्चे इन दिनों पूरे गांव में हो रही है. खुशी के मारे संध्या की मां सूर्यकला की आंखों के आंसू थमने का नाम ले रहा है. संध्या बड़ी होकर शिक्षक बनना चाहती है. साथ ही वह अपने जैसी लड़कियों को शिक्षित करना चाहती हैं.
पिता की मौत के बाद संध्या की मां के ऊपर पूरे परिवार के भरण-पोषण का जिम्मा आ गया है. वह कपड़ों में आयरन करके परिवार का खर्च चलाती है. एनडीटीवी की ओर से संध्या को बचाए जाने के बाद उसे पढ़ाई के लिए थोड़ी बहुत मदद भी पहुंचाई गई. बाल अधिकार कार्यकर्ता अच्युत राव ने संध्या का पढ़ाई के प्रति मनोबल बढ़ाया और आर्थिक मदद भी की. राव कहते हैं कि इस देश में संध्या जैसी कई लड़कियां हैं, जिनकी थोड़ी सी मदद की जाए तो वह अच्छा कर सकती हैं.
संध्या की मां चाहती है कि उनकी बेटी आगे भी पढ़ाई जारी रखे. वह कहती हैं उनका बाल विवाह हुआ था, अब वह अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने देंगी. साथ ही वह दूसरे मां-पिता को भी प्रेरित करेंगी.