नई दिल्ली : सोमवार को दिल्ली की सडकों पर हजारों की तादाद में आदिवासी समाज के लोग एक साथ निकले. ये सभी लोग झारखंड सरकार के उस फैसले के विरोध में निकले थे जिसके तहत सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया है. संशोधन के मुताबिक अब एक्ट में गैर कृषि उपयोग को विनियमित करने की शक्ति दी गई है.
80 फीसदी महिलाओं के साथ हजारों की संख्या में आदिवासी सोमवार को दिल्ली पहुंचे और मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक पैदल मार्च किया. जंतर-मंतर पहुंचने परझारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लोगों को संबोधित किया, और झारखंड के साथ-साथ केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
इंडिया संवाद से टेलिफोनिक बातचीत करते हुए हेमंत सोरेन रघुवर सरकार पर जमकर बरसे. आरोप लगाया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन आदिवासियों केअधिकारों का हनन है. जिससे उनके जंगल और जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा हो जाएगा और आदिवासियों की आजीविकापर संकट खड़ा हो जाएगा. उन्होने कहा कि केंद्र सरकार के कहने पर काम कर रहे हैं. आदिवासियों की जमीन पर नजर लगाए बैठे उघोगपतियों को कौड़ी के भाव जमीन दे रहे हैं.
आदिवासी जल जंगल जमीन को मां समझते हैं.
झारखंड में आजादी के बाद कई बड़े उघोग लगे, लेकिन इससे बड़े पैमाने पर विस्थापित हुए लोग आज भी इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं. हेमंत सोरेन ने कहा कि झारंखड़ के आदिवासी जल जंगल जमीन को मां की तरह समझते हैं. लेकिन रघुवर सरकार बंदूक की नोक पर इन्हें उजाड़ने का प्रयास कर रही हैं . उन्होने कहा कि 30 फीसदी आदिवासियों की जिंदगी जंगलो से चलती हैं . ऐसे में सीएनटी- एसपीटी एक्ट आदिवासी मूलवासियो के लिए कागज का टुकड़ा नहीं हैं यह उनकी आत्मा हैं. रघुवर सरकार इन लोगो को विकास का सपना दिखाकर भ्रम फैला रही हैं.
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छलावा है मोमेंटम झारखंड
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड की रघुवर सरकार बहाने से लोगों को छलने का काम कर रही है. बड़े पैमाने पर राज्य को लूटने की तैयारी है. उन्होंने कहा कि रांची में आयोजित मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम के दौरान शहर में धारा 144 लागू कर दिया गया था. यही नहीं इंवेस्टर्स समिट में उन्हीं उद्योगपतियों को गाजे बाजे के साथ बुलाया गया था जो पहले से झारखंड में अपना व्यवसाय चला रहे हैं. बिड़ला, उषा मार्टिन, टाटा, जिंदल के अलावा मोमेंटम झारखंड में शिरकत करने पहुंचे सभी उद्योगपति पहले से ही झारखंड में अपना उद्यम चला रहे हैं. ऐसे में रांची में धारा 144 लागू कर शहरियों की तकलीफ बढ़ाकर कार्यक्रम का आयोजन किया जाना जनता संग छलावा नहीं तो और क्या है।
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