लखनऊ:केजरीवाल जो किसी न किसी तरह मीडिया की सुर्ख़ियो में बने रहने के आदि है,कैसे चुप बैठते। गोवा में खाता ही न खोल पाने और पंजाब में ग़लतफ़हमी के शिकार हुए केजरीवाल अपनी हताशा और निराशा से बचने के लिये EVM पर ही चोट कर बैठे।गोवा और पंजाब के चुनाव से एक चीज़ तो प्रमाणित हो गई की केजरीवाल के कार्यकर्त्ता स्वंम केजरीवाल पर विश्वास नही करते। उनके उम्मीदवार भी आम आदमी पार्टी को कतई पसंद नहीं करते और उसे वोट भी नहीं देना चाहते ।पंजाब के कुछ बूथों से जिनमे EVM में 0,3 या 5 वोट मिले है इस बात की सत्यता को प्रमाणित करता है।
केजरीवाल को EVM पर ऊँगली उठाने से पहले दिल्ली के चुनाव याद करना चाहिये जो EVM के माध्याम से हुए थे और उसमें 70 में से 67 सीट केजरीवाल की पार्टी को मिली थी।तब EVM ठीक थी और अब गलत हो गई। केवल MCD चुनाओ के पूर्व मीडिया की सुर्ख़ियो में बने रहने के लिए यह केजरीवाल की एक साजिश लगती है।पंजाब में हार की कल्पना तो पहले से ही थी।
EVM पर मायावती और अखिलेश के आरोपो पर पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी पहले ही स्थिति स्पस्ट कर चुके है और अब चुनाव आयोग भी सत्यता की पुष्टि के बाद ऊँगली उठाने वालों से कोर्ट जाने तक को कह चुका है। ।चुनाव आयोग यह भी कह चूका है कि दिल्ली में MCD चुनाव EVM से ही होंगे I सुर्ख़ियो में रहने के लिए केजरीवाल EVM की जगह बैलेट पेपर के बाद ..कल मेट्रो की जगह बैलगाड़ी, पोस्ट आफिस की जगह कबूतर, पुलिस के हाथ में तीर-कमान-भाले, दिल्ली को "कबीला" और खुद को "कबीले का सरदार" कहे जाने की मांग भी कर सकते है ।।