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बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर

4 मई 2023

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बहुरि नहिं आवना या देस ॥
जो जो गए बहुरि नहि आए,
पठवत नाहिं सेस ॥1॥

सुर नर मुनि अरु पीर औलिया,
देवी देव गनेस ॥2॥

धरि धरि जनम सबै,
भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस ॥3॥

जोगी जङ्गम औ संन्यासी,
दीगंबर दरवेस ॥4॥

चुंडित, मुंडित पंडित लोई,
सरग रसातल सेस ॥5॥

ज्ञानी, गुनी, चतुर अरु कविता,
राजा रंक नरेस ॥6॥

कोइ राम कोइ रहिम बखानै,
कोइ कहै आदेस ॥7॥

नाना भेष बनाय सबै,
मिलि ढूऊंढि फिरें चहुँ देस ॥8॥

कहै कबीर अंत ना पैहो,
बिन सतगुरु उपदेश ॥9॥ 

कबीर दास की अन्य किताबें

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रचनाएँ
कबीर दास जी के दोहे
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कबीर दास जी की वाणी में अमृत है। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर प्रहार करने का कार्य किया है। कबीर दास जी मुख्य भाषा पंचमेल खिचड़ी है जिसकी वजह से सभी लोग उनके दोहों को आसानी से समझ पाते हैं। जब भी दोहे शब्द सुनाई देता है, तो सबसे ऊपर हमारे जेहन में कबीरदास जी का नाम ही आता है। कबीर दास जी ने सभी धर्मों की बुराइयों और पाखंडों पर व्यंग्य किया है। सभी धर्मों के लोग कबीर दास के मतों को मानते आये हैं और उनके दोहों में जो सीख है, वह हर व्यक्ति को प्रभावित करती है।
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कबीर दास जी के लोकप्रिय दोहे (अर्थ सहित )

26 मई 2022
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ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये | औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए || अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि इंसान को ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को बहुत अच्छी लगे। ऐसी भाषा दूसरे लोगों को तो सुख प

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कबीर दास जी के दोहे (अर्थ सहित)

26 मई 2022
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बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुर

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कबीर दास जी के अनमोल दोहे (अर्थ सहित)

26 मई 2022
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यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान । शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि यह जो शरीर है वो विष जहर से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान हैं। अगर अपना शीशसर देने क

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कबीर दास जी के गुरु पर दोहे (अर्थ सहित)

26 मई 2022
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जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु है मैं नाहिं। प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समांही।। अर्थ :- जब अहंकार रूपी मैं मेरे अन्दर समाया हुआ था तब मुझे गुरु नहीं मिले थे, अब गुरु मिल गये और उनका प्रेम

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जीवन की महिमा

1 मई 2023
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जीवन की महिमा जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय | मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय || अर्थ : जीते जी ही मरना अच्छा है, यदि कोई मरना जाने तो। मरने के पहले ही जो मर लेता है, वह अजर-अमर हो जा

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कबीर दस जी के दोहे

1 मई 2023
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गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥ भावार्थ: कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो आप किसके चरण स्पर्

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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।

1 मई 2023
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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है वो आज करो, और जो आज करना है वो अभी करो, क्यूंकि पलभर

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कथनी-करणी का अंग -कबीर

4 मई 2023
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जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल। पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल॥ पद गाए मन हरषियां, साँखी कह्यां अनंद। सो तत नांव न जाणियां, गल में पड़िया फंद॥ मैं जाण्यूं पढिबौ भलो, पढ़बा थैं भलौ

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चांणक का अंग -कबीर

4 मई 2023
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इहि उदर कै कारणे, जग जाच्यों निस जाम। स्वामीं-पणो जो सिरि चढ्यो, सर्‌यो न एको काम॥1॥ स्वामी हूवा सीतका, पैकाकार पचास। रामनाम कांठै रह्या, करै सिषां की आस॥2॥ कलि का स्वामी लोभिया, पीतलि धरी ख

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अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर

4 मई 2023
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अवधूता युगन युगन हम योगी, आवै ना जाय मिटै ना कबहूं, सबद अनाहत भोगी। सभी ठौर जमात हमरी, सब ही ठौर पर मेला। हम सब माय, सब है हम माय, हम है बहुरी अकेला। हम ही सिद्ध समाधि हम ही, हम मौनी हम बोले

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कबीर की साखियाँ -कबीर

4 मई 2023
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कस्तूरी कुँडली बसै, मृग ढूँढे बन माहिँ। ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥ प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय। राजा परजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय॥ माला फेरत जुग भया, मिटा ना मन का

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बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर

4 मई 2023
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बहुरि नहिं आवना या देस ॥ जो जो गए बहुरि नहि आए, पठवत नाहिं सेस ॥1॥ सुर नर मुनि अरु पीर औलिया, देवी देव गनेस ॥2॥ धरि धरि जनम सबै, भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस ॥3॥ जोगी जङ्गम औ संन्यासी, द

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समरथाई का अंग -कबीर

4 मई 2023
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जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ । दरिगह तेरी सांईयां , ना मरूम कोइ होइ ॥1॥ सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ । धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ ॥2॥ अबरन कौं का बरनिये, मो

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मधि का अंग -कबीर

5 मई 2023
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`कबीर'दुबिधा दूरि करि,एक अंग ह्वै लागि । यहु सीतल बहु तपति है, दोऊ कहिये आगि ॥1॥ दुखिया मूवा दु:ख कौं, सुखिया सुख कौं झुरि । सदा अनंदी राम के, जिनि सुख दु:ख मेल्हे दूरि ॥2॥ काबा फिर कासी भया,

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भेष का अंग -कबीर

5 मई 2023
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माला पहिरे मनमुषी, ताथैं कछू न होई । मन माला कौं फेरता, जग उजियारा सोइ ॥1॥ `कबीर' माला मन की, और संसारी भेष । माला पहर्‌यां हरि मिलै, तौ अरहट कै गलि देखि ॥2॥ माला पहर्‌यां कुछ नहीं, भगति न आ

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नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर

5 मई 2023
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नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ॥ साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये । हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं । अंतरयामी एक तुम आतम के आधार । जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार ॥ गु

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जीवन-मृतक का अंग -कबीर

5 मई 2023
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`कबीर मन मृतक भया, दुर्बल भया सरीर । तब पैंडे लागा हरि फिरै, कहत कबीर ,कबीर ॥1॥ जीवन तै मरिबो भलौ, जो मरि जानैं कोइ । मरनैं पहली जे मरै, तो कलि अजरावर होइ ॥2॥ आपा मेट्या हरि मिलै, हरि मेट्या

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अंखियां तो झाईं परी -कबीर

5 मई 2023
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अंखियां तो झाईं परी, पंथ निहारि निहारि। जीहड़ियां छाला परया, नाम पुकारि पुकारि। बिरह कमन्डल कर लिये, बैरागी दो नैन। मांगे दरस मधुकरी, छकै रहै दिन रैन। सब रंग तांति रबाब तन, बिरह बजा

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समरथाई का अंग -कबीर

5 मई 2023
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जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ । दरिगह तेरी सांईयां , ना मरूम कोइ होइ ॥1॥ सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ । धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ ॥2॥ अबरन कौं का बरनिये, मो

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गुरुदेव का अंग -कबीर

6 मई 2023
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राम-नाम कै पटंतरै, देबे कौं कछु नाहिं। क्या ले गुर संतोषिए, हौंस रही मन माहिं॥1॥ सतगुरु लई कमांण करि, बाहण लागा तीर। एक जु बाह्या प्रीति सूं, भीतरि रह्या शरीर॥2॥ सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किय

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नीति के दोहे -कबीर

6 मई 2023
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प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। राजा परजा जेहि रूचै, सीस देइ ले जाय।। जब मैं था तब हरि‍ नहीं, अब हरि‍ हैं मैं नाहिं। प्रेम गली अति सॉंकरी, तामें दो न समाहिं।। जिन ढूँढा तिन पाइयॉं, गहरे

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बेसास का अंग -कबीर

6 मई 2023
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रचनहार कूं चीन्हि लै, खैबे कूं कहा रोइ । दिल मंदिर मैं पैसि करि, ताणि पछेवड़ा सोइ ॥1॥ भूखा भूखा क्या करैं, कहा सुनावै लोग । भांडा घड़ि जिनि मुख दिया, सोई पूरण जोग ॥2॥ `कबीर' का तू चिंतवै, का

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केहि समुझावौ सब जग अन्धा -कबीर

6 मई 2023
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केहि समुझावौ सब जग अन्धा॥ इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं, सबहि भुलाने पेट के धन्धा। पानी घोड पवन असवरवा, ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥1॥ गहिरी नदी अगम बहै धरवा, खेवन- हार के पडिगा फन्दा। घर की वस्त

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मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया -कबीर

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मेरी चुनरी में परिगयो दाग़ पिया। पांच तत की बनी चुनरिया सोरह सौ बैद लाग किया। यह चुनरी मेरे मैके ते आयी ससुरे में मनवा खोय दिया। मल मल धोये दाग़ न छूटे ग्यान का साबुन लाये पिया। कहत कबीर दाग़

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सूरातन का अंग -कबीर

9 मई 2023
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गगन दमामा बाजिया, पड्या निसानैं घाव । खेत बुहार्‌या सूरिमै, मुझ मरणे का चाव ॥1॥ `कबीर' सोई सूरिमा, मन सूं मांडै झूझ । पंच पयादा पाड़ि ले, दूरि करै सब दूज ॥2॥ `कबीर' संसा कोउ नहीं, हरि सूं ला

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सूरातन का अंग -कबीर

9 मई 2023
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गगन दमामा बाजिया, पड्या निसानैं घाव । खेत बुहार्‌या सूरिमै, मुझ मरणे का चाव ॥1॥ `कबीर' सोई सूरिमा, मन सूं मांडै झूझ । पंच पयादा पाड़ि ले, दूरि करै सब दूज ॥2॥ `कबीर' संसा कोउ नहीं, हरि सूं ला

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सांच का अंग -कबीर

9 मई 2023
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लेखा देणां सोहरा, जे दिल सांचा होइ । उस चंगे दीवान में, पला न पकड़ै कोइ ॥1॥ साँच कहूं तो मारिहैं, झूठे जग पतियाइ । यह जग काली कूकरी, जो छेड़ै तो खाय ॥2॥ यहु सब झूठी बंदिगी, बरियाँ पंच निवाज

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हमन है इश्क मस्ताना -कबीर

9 मई 2023
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हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आज़ाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते, हमारा यार है हम में हमन को इंतजारी क्या ? खलक सब नाम

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संत कबीर दोहा – जिन खोजा तिन पाइया

12 मई 2023
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वर्तमान समाज में कई ऐसे लोग हैं जो सफलता तो हासिल करना चाहते हैं लेकिन इसके लिए प्रयास ही नहीं करते या फिर उन्हें लक्ष्य को नहीं पा पाने और असफल हो जाना का डर रहता है। ऐसे लोगों के लिए महान संत कब

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संत कबीर का दोहा – ऐसी बानी बोलिए

12 मई 2023
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आज के समय में अक्सर लोग अपनी कड़वी भाषा से दूसरे का मन दुखाते हैं या फिर ऐसे बोल बोलते हैं जो नकारात्मकता फैलाती है ऐसे लोगों के लिए कबीर दास जी का यह दोहा शिक्षाप्रद है – दोहा- “ऐसी बानी बोलि

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कबीर दोहा – धर्म किये धन ना घटे

12 मई 2023
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समाज में कई ऐसे चतुर मनुष्य हैं तो यह सोचते हैं कि वे अगर गरीबों की मद्द के लिए दान-पुण्य करेंगे तो उनके पास धन कम बचेगा या फिर वह सोचते हैं कि दान-पुण्य से अच्छा है उन पैसों का इस्तेमाल बिजनेस में कर

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संत कबीर दोहा – कहते को कही जान दे

12 मई 2023
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आज के समय में कई ऐसे लोग मिल जाएंगे जो किसी  न किसी बात को लेकर अक्सर दूसरे पर आरोप लगाते हैं या फिर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं ऐसे लोगों के लिए कबीर दास जी का यह दोहा काफी शिक्षा देने योग्य हैं-

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संत कबीर दोहा – जैसा भोजन खाइये

13 मई 2023
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समाज में कई ऐसे लोग हैं जो गलत संगत में पढ़कर खुद का ही नुकसान कर बैठते हैं, या फिर बहकावे में आकर अपने ही कुल का नाश कर देते हैं। उन लोगो के लिए कबीर दास जी ने इस दोहे में बड़ी सीख दी है – दोहा-

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संत कबीर दोहा – कबीर तहाँ न जाइये

13 मई 2023
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घमंडी लोगों के यहां जाने वालें के लिए कबीर दास जी ने निम्नलिखित दोहे में शिक्षा दी है – दोहा- “कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ सिध्द को गाँव। स्वामी कहै न बैठना, फिर-फिर पूछै नाँव।” अर्थ- अपने को सर्वोप

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संत कबीर दोहा – इष्ट मिले अरु मन मिले

13 मई 2023
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आज की दिखावे की दुनिया में कई लोग ऐसे हैं, जिनके आंतरिक मन नही मिलते हैं लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए वे, एक-दूसरे के खास बने रहते हैं उन लोगों के लिए कबीर दास जी ने नीचे लिखे गए दोहे में बड़ी सीख दी है

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संत कबीर दोहा – कबीरा ते नर अंध हैं (

13 मई 2023
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जो लोग गुरु के महत्व को नहीं समझते है और उनका आदर-सम्मान नहीं करते हैं उन लोगों के लिए कबीरदास जी ने इस दोहे के माध्यम से सीख देने की कोशिश की है – दोहा- कबीरा ते नर अंध हैं, गुरू को कहते और, हरि

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संत कबीर दोहा – गारी मोटा ज्ञान

13 मई 2023
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जो लोग सहनशील नहीं होते या फिर किसी दूसरे के ज्ञान देने पर जल्दी भड़क जाते हैं ऐसे लोगों के लिए संत कबीर दास जी ने नीचे एक दोहा लिखा है – दोहा- “गारी मोटा ज्ञान, जो रंचक उर में जरै। कोटी सँवारे का

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संत कबीर दोहा – गारी ही से उपजै

13 मई 2023
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इस संसार में कई ऐसे लोग हैं जो गुस्से में आकर अपना आपा खो बैठते हैं, और तो और कई लोग दूसरे की जान तक लेने से नहीं हिचकिचाते ऐसे लोगों के लिए कबीर दास जी ने निम्नलिखित दोहे में बड़ी सीख दी है – दोहा-

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संत कबीर दोहा – बहते को मत बहन दो

13 मई 2023
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आज की दुनिया में कोई भी किसी के मामले में दखलअंदाजी नहीं करना चाहता फिर चाहे वो अपना ही क्यों न हो। और जानते हुए भी उसे गलत काम करने से नहीं रोकता  ऐसे लोगों के लिए महान संत कबीर दास जी ने इस दोहे में

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संत कबीर दोहा – बन्दे तू कर बन्दगी

13 मई 2023
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जो लोग इंसानियत के फर्ज को नहीं निभाते या फिर अपने जीवन में अच्छे कर्मों को नहीं करते हैं उन्हें महाकवि कबीरदास जी के इस दोहे से जरूर शिक्षा लेनी चाहिए – दोहा- “बन्दे तू कर बन्दगी, तो पावै दीदार।

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