जो लोग इंसानियत के फर्ज को नहीं निभाते या फिर अपने जीवन में अच्छे कर्मों को नहीं करते हैं उन्हें महाकवि कबीरदास जी के इस दोहे से जरूर शिक्षा लेनी चाहिए –
दोहा-
“बन्दे तू कर बन्दगी, तो पावै दीदार। औसर मानुष जन्म का, बहुरि न बारम्बार।”
अर्थ-
हे दास! तू सद्गुरु की सेवा कर, तब स्वरूप-साक्षात्कार हो सकता है। इस मनुष्य जन्म का उत्तम अवसर फिर से बारम्बार न मिलेगा।
क्या सीख मिलती है-
कबीरदास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हम सभी को अपने जीवन में अच्छे काम करने चाहिए तभी हमारा उद्दार होगा क्योंकि मनुष्य का जन्म बार-बार नहीं मिलता है।