घमंडी लोगों के यहां जाने वालें के लिए कबीर दास जी ने निम्नलिखित दोहे में शिक्षा दी है –
दोहा-
“कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ सिध्द को गाँव। स्वामी कहै न बैठना, फिर-फिर पूछै नाँव।”
अर्थ-
अपने को सर्वोपरि मानने वाले अभिमानी सिध्दों के स्थान पर भी मत जाओ। क्योंकि स्वामीजी ठीक से बैठने तक की बात नहीं कहेंगे, बारम्बार नाम पूछते रहेंगे।
क्या सीख मिलती है-
हमें ऐसे घमंडी लोगों के घर जाने से बचना चाहिए जहां पर सम्मान नहीं मिलता है। यहां तक कि वे बार-बार आपके नाम के बारे में ही पूछते रहते हैं।