आज की दुनिया में कोई भी किसी के मामले में दखलअंदाजी नहीं करना चाहता फिर चाहे वो अपना ही क्यों न हो। और जानते हुए भी उसे गलत काम करने से नहीं रोकता ऐसे लोगों के लिए महान संत कबीर दास जी ने इस दोहे में बड़ी सीख दी है –
दोहा-
“बहते को मत बहन दो, कर गहि एचहु ठौर। कह्यो सुन्यो मानै नहीं, शब्द कहो दुइ और।”
अर्थ-
बहते हुए को मत बहने दो, हाथ पकड़ कर उसको मानवता की भूमिका पर निकाल लो। यदि वह कहा-सुना न माने, तो भी निर्णय के दो वचन और सुना दो।
क्या सीख मिलती-
कबीर दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें, हमेशा किसी को गलत काम करने से रोककर इंसानियत का परिचय देना चाहिए। इसके साथ ही उसे गलत काम से मिलने वाले नतीजे के बारे में भी जरूर अवगत कराना चाहिए।