नई दिल्ली : भारत में काले धन के खिलाफ सरकार के डीमोनेटाइज़ेशन को लेकर आर्थिक जानकारों की अलग-अलग राय है। बांग्लादेश ने ग्रामीण बैंक के जरिये क्रान्ति लाने वाले और नोबेल पुरस्कार मोहम्मद यूसुस ने भी इस पर अपनी राय दी है। मोहम्मद यूनुस ने एक अख़बार से बातचीत में भारत में नोटबंदी को लेकर कहा कि डीमोनेटाइज़ेशन ठीक वैसे ही है जैसे मैं अपने घर के फर्श पर फैले पानी को पूरी तरह साफ़ कर दूं और पानी का नाल बंद ना करूं।
इससे पानी एक बा फिर फ़ैल जायेगा। उन्होंने का है कि हमें पहले इस नल को बंद करना होगा। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि नोटबंदी कालेधन का समाधान नही है। इसके लिए हमें पहले सिस्टम को सुधारना होगा जिसके जरिये यह समस्या उत्पन्न हुई है। बता दें कि बांग्लादेश का ग्रामीण बैंक ग़रीब लोगों को स्वरोजगार के लिए सामूहिक रूप से कर्ज़ देता है।
मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के जरिये उस वक़्त क्रांति शुरू की जब बांग्लादेश गरीबी से जूझ रहा था। मोहम्मद यूनुस ने लोगों को अपने कारोबार शुरू करने के लिए ग्रामीण बैंक के जरिये लोन देना शुरू किया।आम तौर पर ऐसे लोग इस बैंक के ग्राहक हैं जो बड़े बैंकों से कर्ज़ प्राप्त करने में अपने को असहाय पाते हैं।
वर्ष 1974 में बांग्लादेश में आए भयानक अकाल से सबक लेते हुए अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने एक ऐसे बैंक का ख़ाका तैयार किया जिसकी पहुँच हर ज़रूरतमंद के दरवाज़े तक हो। वर्ष 1976 में प्रोफ़ेसर यूनुस ने चटगाँव विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रयोग के तौर पर कुछ गाँवों में इस योजना को लागू किया।