लखनऊ : 70 वर्षो तंक यूपी के बेटे बेटी बहू बनकर प्रदेश को विकसित न करने वाले कांग्रेसी नेताओं की भांति मूलतः राष्ट्रपति पद की कांग्रेस उम्मीदवार मीरा कुमार ने भी अपने चुनाव में तुरुप का वही इक्का निकाल कर प्रयोग किया जो पूर्व में नेहरू गांधी परिवार द्वारा किया जाता रहा सत्तापक्ष के उम्मीदवार राम नाथ कोविन्द चूँकि कानपुर जिले के निवासी है इस कारण कानपुर में अपने ननिहाल की बात कर मीरा कुमार ने कल अपने को यू पी की बेटी साबित करने का प्रयास किया ।
लालू यादव ने मीरा कुमार को बिहार की बेटी कहकर उन्हें जिताने की बात कही थी क्योंकि मुख्य मंत्री नीतीश कुमार पहले ही राम नाथ कोविंद के पक्ष की बात कर चुके थे। नीतीश को बेटी की भावनाओ में बहाकर मीरा कुमार के पक्ष में लाने का प्रयास सफल नही हो सका। लालू परिवार भी भ्रष्टचार में फंसने के बाद मीरा कुमार का समर्थन जुटाने में कामयाब नही हो रहै है।।स्वंम लालू के हमदर्द भी मीरा कुमार से अधिक कोविंद के पक्षधर है। बिहार से भी मीरा कुमार के पक्ष में कोई आशा की किरण दिखाई नही दे रही है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के कट्टर विरोधी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मीरा कुमार को बुके देकर उनका सत्कार किया। अखिलेश यादव बतौर पार्टी अध्यक्ष उन्हें अपनी पार्टी के सभी वोट दिलाने का आश्वासन नही दे सके परन्तु उनके साथ लंच लेकर मीरा कुमार को कुछ साहस जरूर मिला होगा।
मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव पहले ही राम नाथ कोविंद को अपनी पार्टी का समर्थन देने की बात कह चुके है।इसी कारण मीरा कुमार ने इन दोनों से मिलना उचित नही समझा।
जहांतक बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का प्रश्न है, इन्होंने मीरा कुमार को बुके देने के बाद दलित महिला होने के नाते गले भी लगा लिया पर उनके पास जितने भी वोट है वह राम नाथ कोविंद की तुलना में मीरा कुमार को जिताने के लिए नाकाफी है - स्वंम मीरा कुमार भी इस तथ्य को अच्छी तरह जानती है। मायावती की पार्टी के वोट उनके लिए ' ऊँट के मुह में जीरा ' समान है।
रही बात भाजपा के वोटरों से वोट मांगने की तो भाजपाइयों की एकजुटता को देखते हुए, भाजपाइयों से विनती करना मीरा कुमार ने व्यर्थ ही समझा। एक कुशल राजनीति क होने के नाते मीरा कुमार को मुलायम सिंह, शिवपाल के अतिरिक्त भाजपा के वोटरों से भी अनुनय करना चाहिए था।
लखनऊ में मीरा कुमार ने एक अपने दिल की महत्वपूर्ण बात कह डाली कि 'जाति व्यवस्था ने कई वर्गों का मनोबल तोड़ा है' । इस बात का तर्क उन्होंने राम नाथ कोविंद के दलित प्रसंग में कहा पर दूसरे शब्दो में यह कांग्रेस की गलत नीतियों का ही परिणाम दिखाई देता है। जाति,धर्म और वर्ग के आधार पर चुनाव लड़ाने आरक्षण नीति के कारण वोटरों को रिझाने से ही समाज मे विघटन की स्थिति पैदा हुई है, जिसका खामियाजा आज स्वंम मीरा कुमार को भी भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस मुख्यालय पर उन्होंने जाति विहीन समाज बनाने की पेशकश भी की । कुल मिलाकर यूपी से भी मीरा कुमार को निराशा ही हाथ लगी है।
सोमवार को राष्ट्रपति पद का चुनाव निर्धारित है।उत्तर प्रदेश का मतदान हमेशा की भांति विधान भवन स्थित तिलक हॉल में होगा जहां प्रदेश के बुद्धिमान मतदाता देश का राष्ट्रपति चुनने हेतु अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मीडिया के साथ साथ सभी राष्ट्रीय पार्टियो की भी माने तो राम नाथ कोविंद के पक्ष में बहुमत से अधिक मतदाता है,इस कारण उनकी जीत सुनिश्चचित है।