बेरोजगारी किसे कहते है ? बेरोजगार ,बे +रोजगार से मिलकर बना है । रोजगार का आशय काम काज से हैं।बेरोजगार मतलब बिना काम काज के रहना ।जब ये समस्या अधिक लोगो मे होती है तो इसे बेरोजगारी की समस्या कहते हैं । राफिन तथा ग्रेगोरी के अनुसार, ‘‘एक बेरोजगार व्यक्ति वह व्यक्ति है जो (i) वर्तमान समय में काम नहीं कर रहा। (ii) जो सक्रिय ढंग से कार्य की तलाश में है। (iii) जो वर्तमान मजदूरी पर काम करने के लिये उपलब्ध है।’’ जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि किस किस को काम दे। सभी के लिए सरकार या कोई कम्पनी काम नहीं दे सकता है । कर्मचारी तो एक निश्चित संख्या मे काम पर हैं जो बढ़ तो नहीं घट ही सकती है । लोग ऐसी स्थिति में अपना काम स्वय खोलने लगता है । लेकिन और भी लोग हैं जिसे काम तो नहीं मिलता न ही स्वयं का कोई काम धन्धा खोल पाता है । ऐसे मे परिवार का कोई एक व्यक्ति घर के अन्य सदस्यों का पालन पोषण करता है।
प्रो. पीगू के अनुसार, ‘‘एक व्यक्ति को उस समय ही बेरोजगार कहा जाएगा जब उसके पास कोई रोजगार का साधन नहीं है परन्तु वह रोजगार प्राप्त करना चाहता है।
विश्व जनसंख्या वर्तमान में रहने वाले मनुष्यों की कुल संख्या है और अप्रैल 2019 तक लगभग 7.78 बिलियन जनसंख्या हैं। दुनिया की आबादी को 1 बिलियन तक पहुंचने में 200,000 साल का समय लगा; और 7 बिलियन तक पहुँचने के लिए केवल 200 साल अधिक का समय लगा।भारत की जनसंख्या पूरे संसार में दूसरे नम्बर पर है। वर्तमान समय के अनुसार साल 2022 में भारत की जनसंख्या 1,404,234,872 करोड़ है।पहले स्थान पर चीन है। इतने लोगो को काम नहीं मिल पायेगा काम तो दूर खद्यान्न के लिए भी समस्या आएगी। बेरोजगारी से भुखमरी पैदा होती है। जब किसी के हाथ में धन ज्यादा होता हैं तो समाज देश के लोगो कि दशा मे सुधार नहीं हो पाता चोरी डकैती बढ़ती है । बड़े चोर हो तो देश कि हालत गंभीर होती है आप लोग बड़े चोर का आशय समझ गये होंगे जो देश को खोखला कर रहा है । चूंकि भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है, इसकी बेरोजगारी की स्थिति धनी देशों से काफी भिन्न है। भारत में, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी का अनुभव होता है। पूंजीगत उपकरणों की कमी अर्थव्यवस्था की धीमी गति और उच्च बेरोजगारी दर का कारण है।
बेरोजगारी की समस्या में आलस भी महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं कोई आलसी है तो काम मिल तो रहा हैं पर काम करना नहीं चाहता । कुछ लोग बीमार रहते है और कार्यस्थल में काम नहीं कर सकते है । उनकी भी समस्या है ।अधिकतर कंपनी या संस्था अपने कर्मचारी कि छटनी करते है जिससे बेरोजगारी की समस्या पैदा होती है ।उनका प्रॉफिट नहीं होने पर उन्हे मानदेय नहीं दे सकते है ।
भारत एक धर्म एव कृषि प्रधान देश है ।पाखंड के कारण लोग यह जन नहीं पाते कि कर्म से ही हम उपर उठ सकते है ।हम भाग्य के बल पर कैसे उन्नति कर सकते है ।काम मिलने के लिए ईश्वर की पूजा करते है नारियल चढ़ा आते है ।हमारी समझ कब काम करेगी ।हम प्रयोग करना नहीं चाहते हाथ पर हाथ धरे बैठे है ।हमारी मानसिकता अभी भी अंधानुकरण है ।