प्रौद्योगिकी, वह विकास है जिसमे हम अपने दैनिक जीवन को सरल व सुगम्य बनाते है ।विज्ञान की मदद से प्रौद्योगिकी का विकास तेजी से हुआ है ।कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है।
प्रौद्योगिकी की परिभाषा : इस शब्द को हिंदी भाषा में "तकनीक" कहा जाता है। तथा इसका मतलब - विज्ञान या ज्ञान है, जिसे समस्याओं को हल करने या उपयोगी उपकरणों का आविष्कार करने के लिए व्यावहारिक उपयोग में लाया जाता है।
प्रौद्योगिकी ज्ञान की वह शाखा है जो तकनीकी साधनों के निर्माण और पर्यावरण से उनके संबंध को पूरा करती है। प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन में जो बदलाव लाए हैं, वे समय की बचत कर रहे हैं, त्वरित संचार और बातचीत को सक्षम कर रहे हैं, जीवन की बेहतर गुणवत्ता, सूचना तक आसान पहुंच और सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।
हम प्रौद्योगिकी के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। तकनीक के कार्यान्वयन ने हमें कई प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित अन्य ग्रहों की ओर देखना तक संभव बना दिया है। प्रौद्योगिकी ने हमारी अर्थव्यवस्था को भी गति दी है। लोग अपनी मर्जी से अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, दूर-नजदीक के लोगों के साथ आसानी से जुड़ सकते हैं
भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी देशों में सातवें स्थान पर है। मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी के लिये प्रत्युष नामक शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर बनाकर भारत इस क्षेत्र में जापान, ब्रिटेन और अमेरिका के बाद चौथा प्रमुख देश बन गया है। नैनो तकनीक पर शोध के मामले में भारत दुनियाभर में तीसरे स्थान पर है ।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी
संयुक्त राष्ट्र संकल्प के बाद भारत ने मई 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 पारित कर दिया और 17 अक्टूबर 2000 को अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया।
संप्रेषण के द्वारा ही मनुष्य सूचनाओं का आदान प्रदान एवं उसे संग्रहित करता है। सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक अथवा राजनीतिक कारणों से विभिन्न मानवी समूहों का आपस में संपर्क बन जाता है। गत शताब्दी में सूचना और संपर्क के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति हुई है।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण हैं - साइबर अपराध में वृद्धि, ऑनलाइन धोखाधड़ी, बाल शोषण, अश्लील साहित्य, मोबाइल गेम के लिए बढ़ते एडिटिव्स आदि।
इस प्रकार से मनुष्य बाहरी विकास तो कर रहा है लेकिन आन्तरिक विकास नगण्य है । हमारा जीवन तो सुखमय प्रौद्योगिकी के कारण हो रहा है पर ये एसा हुआ एक बच्चे के हाथ में पैसा देना। क्या करेगा बच्चा उसे फेक या फाड़ देगा। यदि आन्तरिक सम्पदा में गरीब है तो बाहर की कितनी ही सम्पदा मिल जाये हम निर्धन ही रहेंगे।