भोपाल : मध्य प्रदेश के इस गांव में पहली बार किसी दलित परिवार की शादी में बैंड बजा है और दूल्हा घोड़ी चढ़ा है. हालांकि इस काम को कराने के लिए तीन-तीन पुलिस थानों की फोर्स लगानी पड़ी. पुलिस बल भी ऐसा जो लाठियों, बंदूकों और आंसू गैस के गोलों से लैस था.
दरअसल गांव के दबंग गुर्जरों ने परंपरा बना रखी थी कि दलित की शादी में बैंड बाजा नहीं बज सकता. ग्राम माणा में दलित परिवार की शादी में बारात नहीं निकलने देने तथा बैंडबाजे नहीं बजने देने की शिकायत मिलने के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने माणा में दिनभर मौजूद रहकर दलित की बेटी की बारात निकलवाई, साथ ही अपनी देखरेख में शादी की सारी रस्में भी करवाईं.
बतादें शुक्रवार को माणा निवासी चंदरसिंह ने एसडीएम जीएस डावर तथा एसडीओपी ओपी शर्मा को लिखित शिकायत कर बताया था कि ग्रामीण उसकी बेटी की बारात बैंडबाजे से नहीं निकालने देंगे. शिकायत मिलने के बाद शनिवार को प्रशासन के जिम्मेदारों ने ग्राम में पहुंचकर ग्रामीणों को समझाइश दी थी, साथ ही ग्राम में पुलिस बल की भी तैनाती की थी.
रविवार को पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदारों ने माणा में मौजूद रहकर शादी की रस्में पूरी करवाई तथा राजगढ़ से आई ममता की बारात की निकासी भी पूरे ग्राम में बैंडबाजे के साथ निकाली गई.
बैंडबाजे बजे तो ममता के परिजनों में खुशी की लहर छा गई. इस गांव में अभी तक किसी भी दलित की बैंडबाजे से बारात नहीं निकली थी. यह पहला मौका था शायद इसलिए सभी की आंखों में खुशी छाई थी.
रविवार को शादी वाले दिन SDM जीएस डावर, SDOP ओपी शर्मा, तहसीलदार मुकेश सोनी, थाना प्रभारी ओपी मोहता व सुसनेर, नलखेड़ा व सोयत का पुलिस बल ग्राम में ही तैनात था.