मुम्बई : मुम्बई की बीएमसी में भले ही आजतक बीजेपी और शिवसेना ने बड़े और छोटे भाई की तरह चुनाव लडे हों लेकिन अब शिवसेना मुम्बई में अपना छोटा भाई बदलने को मजबूर है। वहीँ वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति भी ऐसी है कि वह बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए किसी से भी गठबंधन करने को तैयार है। एक दौर में बालठाकरे जहाँ इंदिरा गाँधी का समर्थन जमकर करते थे वहीँ अब शिवसेना को कांग्रेस से गठबंधन करने में कोई हर्ज भी नही होना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की माने तो बीएमसी में 84 सीट जीतने वाली शिवसेना बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस का सहारा ले सकती है। सूत्रों की माने तो इसके लिए शिवसेना और कांग्रेस के बीच बातचीत का दौर भी शुरू हो गया है। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने खुद इसके लिए कांग्रेस को न्यौता दिया है।
कहा जा रहा है कि शिवसेना कांग्रेस को डिप्टी मेयर पद देने के लिए तैयार है जबकि मेयर के लिए वह खुद की पार्टी के व्यक्ति को चाहती है। बीएमसी में 9 मार्च को मेयर का चुनाव होना है। इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण का कहना है पार्टी ने बैठक बुलाकर इस पर विचार विमर्श किया है।
इस बैठक में पूर्व सीएम सुशील कुमार शिंदे, नारायण राणे, मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम, सांसद हुसैन दलवई और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नसीम खान ने भाग लिया। वहीँ कांग्रेस पार्टी के विधायक अब्दुल सत्तार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी इस पर शिवसेना से औपचारिक प्रस्ताव मिलने के बाद विचार करेगी।
गौरतलब है कि बीएमसी में शिवसेना के खाते में 84 तो कांग्रेस के खाते में 31 सीट मिली हैं। जबकि पूर्ण बहुमत के लिए फिलहाल 114 की जरूरत है। इन दोनों पार्टियों को इतिहास के आईने में देखेंइससे तो 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी, तो ठाकरे सार्वजनिक रूप से उनकी तारीफ करने लगे। इस तरह शिवसेना ने खुद को बैन होने से बचा लिया। 1993 में शिवसेना मुख्यालय पर बम विस्फोट के बाद उन्होंने उग्र तेवर अपनाने से परहेज किया। वे इस बात से सहम गए थे कि विरोधी उनके करीब पहुंच कर वार कर सकते हैं।