नई दिल्ली : डिजिटल इंडिया के दौर' में अंतराष्ट्रीय संगठित' अपराधों की संख्या भारत में बढती जा रही है। देश की जाँच एजेंसियों के सामने यह एक ऐसा सवाल से जिससे पार पाना उनके बस से बाहर की बात नजर आ रही है। ऐसे मामलों की जाँच करने वाले सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (सीबीआइ) का कहना है कि ऐसे अपराध देश की सीमा से बाहर निकल रहे हैं।
सीबीआई के निदेशक अनिल सिन्हा का कहना है कि उनके द्वारा की जा रही ऐसे 392 मामलों की जाँच 66 देशों में अभी पेंडिंग पड़ी है। सीबीआई के निदेशक अनिल सिन्हा का कहना है कि ऐसे अपराधों में साइबर क्राइम का हिस्सा सबसे ज्यादा है। बीते कुछ समय में ऐसे फाइनेंसियल फ्रॉड के अपराधों में जोरदार इजाफा हुआ है।
साइबर जानकारों की माने तो ऐसे अपराधों से निपटना भारतीय जाँच एजेंसियों के बस से बाहर की बात है। सीबीआई डायरेक्टर ने कहा कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए अंतरष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों से समझौते करने की आवश्यकता है। अभी ताज़ा घटना भारतीय बैंकों के ग्राहकों के डेबिट कार्ड हैक करने का है। जिसको लेकर कहा जा रहा है कि इसके तार कही न कही विदेशों से जुड़े हैं।
सीबीआई का कहना है कि एयर इंडिया घोटाला, अगुस्ता वेस्टलैंड और डेफेंस डील सहित कई ऐसे मामलों की जाँच देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (सीबीआइ) के पास है जिनका सम्बन्ध विदेशों से है।