shabd-logo

ब्राह्मणी और तिल के बीज

18 जनवरी 2022

29 बार देखा गया 29

एक बार की बात है एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था, एक समय उनके यहाँ कुछ अतिथि आये, घर में खाने पीने का सारा सामान ख़त्म हो चुका था, इसी बात को लेकर ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्‍नी में यह बातचीत हो रही थी:
ब्राह्मण----"कल सुबह कर्क-संक्रान्ति है, भिक्षा के लिये मैं दूसरे गाँव जाऊँगा । वहाँ एक ब्राह्मण सूर्यदेव की तृप्ति के लिए कुछ दान करना चाहता है ।"
पत्‍नी---"तुझे तो भोजन योग्य अन्न कमाना भी नहीं आता । तेरी प‍त्‍नी होकर मैंने कभी सुख नहीं भोगा, मिष्टान्न नहीं खाये, वस्त्र और आभूषणों को तो बात ही क्या कहनी ?"
ब्राह्मण----"देवी ! तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए । अपनी इच्छा के अनुरुप धन किसी को नहीं मिलता । पेट भरने योग्य अन्न तो मैं भी ले ही आता हूँ । इससे अधिक की तृष्णा का त्याग कर दो । अति तृष्णा के चक्कर में मनुष्य के माथे पर शिखा हो जाती है ।"
ब्राह्मणी ने पूछा----"यह कैसे ?"
तब ब्राह्मण ने सूअर---शिकारी और गीदड़ की यह कथा सुनाई----
एक दिन एक शिकारी शिकार की खोज में जंगल की ओर गया । जाते-जाते उसे वन में काले अंजन के पहाड़ जैसा काला बड़ा सूअर दिखाई दिया । उसे देखकर उसने अपने धनुष की प्रत्यंचा को कानों तक खींचकर निशाना मारा । निशाना ठीक स्थान पर लगा । सूअर घायल होकर शिकारी की ओर दौड़ा । शिकारी भी तीखे दाँतों वाले सूअर के हमले से गिरकर घायल होगया । उसका पेट फट गया । शिकारी और शिकार दोनों का अन्त हो गया ।
इस बीच एक भटकता और भूख से तड़पता गीदड़ वहाँ आ निकला । वहाँ सूअर और शिकारी, दोनों को मरा देखकर वह सोचने लगा, "आज दैववश बड़ा अच्छा भोजन मिला है । कई बार बिना विशेष उद्यम के ही अच्छा भोजन मिल जाता है । इसे पूर्वजन्मों का फल ही कहना चाहिए ।"
यह सोचकर वह मृत लाशों के पास जाकर पहले छोटी चीजें खाने लगा । उसे याद आगया कि अपने धन का उपयोग मनुष्य को धीरे-धीरे ही करना चाहिये; इसका प्रयोग रसायन के प्रयोग की तरह करना उचित है । इस तरह अल्प से अल्प धन भी बहुत काल तक काम देता है । अतः इनका भोग मैं इस रीतिसे करुँगा कि बहुत दिन तक इनके उपभोग से ही मेरी प्राणयात्रा चलती रहे ।
यह सोचकर उसने निश्चय किया कि वह पहले धनुष की डोरी को खायगा । उस समय धनुष की प्रत्यंचा चढ़ी हुई थी; उसकी डोरी कमान के दोनों सिरों पर कसकर बँधी हुई थी । गीदड़ ने डोरी को मुख में लेकर चबाया । चबाते ही वह डोरी बहुत वेग से टूट गई; और धनुष के कोने का एक सिरा उसके माथे को भेद कर ऊपर निकला आया, मानो माथे पर शिखा निकल आई हो । इस प्रकार घायल होकर वह गीदड़ भी वहीं मर गया ।
ब्राह्मण ने कहा---"इसीलिये मैं कहता हूँ कि अतिशय लोभ से माथे पर शिखा हो जाती है ।"
ब्राह्मणी ने ब्राह्मण की यह कहानी सुनने के बाद कहा----"यदि यही बात है तो मेरे घर में थोड़े से तिल पड़े हैं । उनका शोधन करके कूट छाँटकर अतिथि को खिला देती हूँ ।"
ब्राह्मण उसकी बात से सन्तुष्ट होकर भिक्षा के लिये दूसरे गाँव की ओर चल दिया । ब्राह्मणी ने भी अपने वचनानुसार घर में पड़े तिलों को छाँटना शुरु कर दिया । छाँट-पछोड़ कर जब उसने तिलों को सुखाने के लिये धूप में फैलाया तो एक कुत्ते ने उन तिलों को मूत्र-विष्ठा से खराब कर दिया । ब्राह्मणी बड़ी चिन्ता में पड़ गई । यही तिल थे, जिन्हें पकाकर उसने अतिथि को भोजन देना था । बहुत विचार के बाद उसने सोचा कि अगर वह इन शोधित तिलों के बदले अशोधित तिल माँगेगी तो कोई भी दे देगा । इनके उच्छिष्ट होने का किसी को पता ही नहीं लगेगा । यह सोचकर वह उन तिलों को छाज में रखकर घर-घर घूमने लगी और कहने लगी----"कोई इन छँटे हुए तिलों के स्थान पर बिना छँटे तिल देदे ।"
अचानक यह हुआ कि ब्राह्मणी तिलों को बेचने एक घर में पहुँच गई, और कहने लगी कि---"बिना छँटे हुए तिलों के स्थान पर छँटे हुए तिलों को ले लो ।" उस घर की गृहपत्‍नी जब यह सौदा करने जा रही थी तब उसके लड़के ने, जो अर्थशास्त्र पढ़ा हुआ था, कहा:
"माता ! इन तिलों को मत लो। कौन पागल होगा जो बिना छँटे तिलों को लेकर छँटे हुए तिल देगा । यह बात निष्कारण नहीं हो सकती । अवश्यमेव इन छँटे तिलों में कोई दोष होगा ।"
पुत्र के कहने से माता ने यह सौदा नहीं किया ।

सीख : बिन कारण कार्य नहीं । 

पंडित विष्णु शर्मा (पंचतंत्र की कहानियाँ) की अन्य किताबें

निःशुल्कसम्पूर्ण  पंचतंत्र  भाग  5  - shabd.in

सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 5

अभी पढ़ें
निःशुल्कसम्पूर्ण  पंचतंत्र   भाग  4  - shabd.in

सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 4

अभी पढ़ें
निःशुल्कसम्पूर्ण पंचतंत्र  भाग  3  - shabd.in

सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 3

अभी पढ़ें
निःशुल्कसम्पूर्ण पंचतंत्र   भाग  2  - shabd.in

सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 2

अभी पढ़ें
निःशुल्कसम्पूर्ण  पंचतंत्र  भाग  1  - shabd.in

सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 1

अभी पढ़ें
शब्द mic

अन्य बाल साहित्य की किताबें

निःशुल्कमित्र - shabd.in
Neeraj Agarwal
निःशुल्कSymbol of love - shabd.in
Juhi Singh
निःशुल्कहेलो रोल्ड  - shabd.in
Ratnajit Swain

हेलो रोल्ड

अभी पढ़ें
निःशुल्कTEST BOOK - shabd.in
Ratnajit Swain
निःशुल्क🐒🦅🦚जंगल की पंचायत 🐅🐘🐊 - shabd.in
Deepak Singh (Deepu)

🐒🦅🦚जंगल की पंचायत 🐅🐘🐊

अभी पढ़ें
₹ 335/-Ismat Chugtai Ke Do Novel - shabd.in
Ismat Chughtai

Ismat Chugtai Ke Do Novel

अभी पढ़ें
₹ 175/-Titli ki Seekh (21 Prerak Baal Kahaniyan): तितली की सीख (21 ... 1;ानियां) - shabd.in
Girish Pankaj

Titli ki Seekh (21 Prerak Baal Kahaniyan): तितली की सीख (21 ... 1;ानियां)

अभी पढ़ें
₹ 150/-21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Chandigarh (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : चंडीगढ़): Chandigarh (21 श्रेष्ठ ... चंडीगढ़) - shabd.in
Sangeeta Rai

21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Chandigarh (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : चंडीगढ़): Chandigarh (21 श्रेष्ठ ... चंडीगढ़)

अभी पढ़ें
₹ 150/-21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Chhattisgarh (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : छत्तीसगढ़): Chhatisgarh (21 ... 0;्तीसगढ़) - shabd.in
Govind Pal

21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Chhattisgarh (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : छत्तीसगढ़): Chhatisgarh (21 ... 0;्तीसगढ़)

अभी पढ़ें
₹ 150/-21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Jharkhand (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : झारखण्ड): Jharkhand (21 श्रेष्ठ ... 3;ारखण्ड) - shabd.in
Kavita Vikas

21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Jharkhand (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : झारखण्ड): Jharkhand (21 श्रेष्ठ ... 3;ारखण्ड)

अभी पढ़ें
पंचतंत्र नीति, कथा और कहानियों का संग्रह है जिसके मशहूर भारतीय रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा है। पंचतंत्र की कहानी में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी रुचि लेते हैं। पंचतंत्र की कहानी के पीछे कोई ना कोई शिक्षा या मूल छिपा होता है जो हमें सीख देती है। पंचतंत्र की कहानी बच्चे बड़ी चाव से पढ़ते हैं तथा सीख लेते हैं। बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियों से बेहतर और क्या हो सकता है। खासकर, पंचतंत्र की कहानियां, जिसमें बेहतर सीख, संस्कार व जीवन में अच्छी चीजों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मौजूद होती है। पांच भागों में बंटी पंचतंत्र की कहानियां ही हैं, जो दोस्ती की अहमियत, व्यवहारिकता व नेतृत्व जैसी अहम बातों को सरल और आसान शब्दों में बच्चों तक पहुंचा कर उन पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं। शायद यही वजह है कि अक्सर बचपन में सुनी कहानियां और उनकी सीख जीवन के अहम पड़ाव में मार्ग दर्शक के रूप में भी काम कर जाती हैं। हम कौआ-उल्लू के बीच का बैर, दोस्ती-दुश्मनी, दोस्तों के होने का लाभ, कर्म न करने से होने वाली हानि, हड़बड़ी में कदम उठाने से होने वाले नुकसान जैसी कई पंचतंत्र की कहानियां आप तक इस प्लेटफॉर्म के जरिए लेकर आ रहे हैं।