नई दिल्लीः यूपी भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसल कैमरे पर नहीं काम पर फोकस करते हैं। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो काम सौंपता है, उसे मुकाम दिलाकर ही छोड़ते हैं। पिछले तीन वर्षों से यूपी में संगठन को बूथ लेवल पर मजबूत करने में खूब पसीना बहाया, मगर कभी टीवी पर या किसी के सामने श्रेय लेते नहीं दिखे। उनका ज्यादातर वक्त पार्टी पदाधिकारियों के बीच बीतता है। लो प्रोफाइल, विनम्र और सिर्फ काम से मतलब रखना उऩकी खूबी है। यही वजह है कि यूपी में सत्ता से 14 साल से दूर रहने से ऊर्जाहीन हुई भाजपा में भी वह जोश जगाने में सफल रहे। उनकी क्षमताओं पर मोदी और शाह को पहले से यकीन था। इस नाते राजस्थान से लाकर उन्हें यूपी में संगठन मंत्री की बड़ी जिम्मेदारी निभाने का मौका दिया। लोकसभा के बाद विधानसभा में भी पार्टी को बंपर सफलता दिखाकर सुनील बंसल ने साबित कर दिया कि उनमें क्या प्रतिभा और क्षमता है। सुनील बंसल को दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं है। इसका उदाहरण शपथ ग्रहण के दिन भी देखने को मिला। जब मंच से दिल्ली भाजपा के डॉ. अनिल जैन, अरुण सिंह सहित कई पदाधिकारियों ने भी संबोधन किया मगर बंसल मंच पर होते हुए भी माइक के आसपास नहीं दिखे। पार्टी नेताओं का कहना है बंसल हमेशा पर्दे के पीछे रहकर ही काम करना पसंद करते हैं।
दो करोड़ भाजपा के बनवाए सदस्य
तब सुनील बंसल एबीवीपी के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री रहे, जब यूपी में भाजपा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जिम्मेदारी सौंपी। यूपी में संगठन मंत्री बनने पर बंसल ने सबसे पहले बूथ लेवल पर काम शुरू किया। हर बूथ पर 21-21 कार्यकर्ताओं की टीम बनाने का फार्मूला तय हुआ। इस टीम में ओबीसी और दलित महिलाओं को भी शामिल किया गया। बंसल के दिशा-निर्देशन में पार्टी पदाधिकारियों ने दो करोड़ से अधिक सदस्य बनाए। जिसका लाभ 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ। वहीं अब 2017 में तीन-चौथाई बहुमत से जीत भी इसका सुबूत है। विधानसभा चुनाव के दौरान सुनील बंसल पार्टी प्रत्याशियों का दिशा-निर्देशन करते रहे। कोई भी दिक्कत होने पर प्रत्याशी सीधे उनसे फोन पर संपर्क कर सकते थे। यही नहीं प्रत्याशियों की मांग पर स्टार प्रचारकों की सभा भी बंसल दिलाते रहे। जिससे पूरा चुनाव एक सटीक रणनीति के तहत यूपी में भाजपा लड़ सकी और बंपर सफलता हासिल हुई।