नई दिल्ली : इस साल विवादों में रहे जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में एमफिल और पीएचडी की सीटों में यूजीसी ने 83 प्रतिशत कमी की गई है। यूजीसी के इस फैसले का छात्र लगातार विरोध कर रहे हैं। इसके खिलाफ पिछले सप्ताह दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों को लेकर जेएनयू की नयी दाखिला नीति को चुनौती देने वाली कुछ छात्रों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इन पाठ्यक्रमों के लिए यूजीसी के दिशा-निर्देश सभी विश्वविद्यालयों पर लागू होते हैं।
ख़बरों के अनुसार जेएनयू में बीते साल एमफिल और पीएचडी की 1174 सीट्स थीं। इस बार सरकार ने घटाकर 194 कर दी। यूजीसी के इस फैसले से जेएनयू के छात्रों निराश हैं। यूजीसी के नोटिफिकेशन के अनुसार स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज, स्कूल ऑफ कंप्यूटेशनल ऐंड इंटिग्रेटिव साइंसेज और स्कूल ऑफ बायॉटेक्नॉलजी में इस बार एक भी ऐडमिशन नहीं होगा।
संस्कृत स्टडीज, स्टडी ऑफ लॉ ऐंड गवर्नेंस, नैनो साइंस में भी इस बार कोई ऐडमिशन नहीं होगा। हिस्ट्री और पॉलिटिकल साइंस डिपाटर्मेंट में भी सीट नहीं है, जबकि इनमें देशभर से कई स्टूडेंट्स अप्लाई करते हैं।
स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के 13 सेंटर्स में से सिर्फ 2 सेंटर में इस बार ऐडमिशन होंगे। इसी तरह स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के 12 सेंटर्स में से सिर्फ 4 सेंटर्स और स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के 13 सेंटर्स में से 3 सेंटर्स में ही ऐडमिशन होंगे। 10 स्कूल और 4 सेंटर में कुल 102 एमफिल-पीएचडी ऐडमिशन होंगे। पिछले साल यह नंबर 970 था।