मैं तो अपनी कहानियों को एक आईना समझती हूँ ,
जिसमे समाज अपने आप को देख सके |
मैं सोसाइटी की चोली क्या उतारूंगी
जो पहले से ही नंगी है|
उसे कपड़े पहनना मेरा काम नही है
मैं काली तख़्ती पर सफेद चॉक इस्तेमाल करती हूँ
ताकि काली तख़्ती और नुमाया हो जाए |
स्त्रियों के ज्वलन्त समस्याओं के विषय मे लेख इस पुस्तक में मिलेंगे