देहरादून: भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ‘परिवर्तन’ को व्यवस्था में बदलाव से जोड़कर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के सामने एक बड़ी लकीर खींच गए। उन्होंने भाजपा की प्रदेश में सरकार बनाने की चाहत को और अधिक व्यापक अर्थ दे दिया। शाह ने यह भी जता दिया कि अब चुनाव में उतर जाने का समय आ गया है। जनसभा में किसी एक नेता को भाव न देकर शाह यह जताते नजर आए कि प्रदेश में भाजपा का चेहरा कमल और उसके खेवनहार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे।
दरअसल, हल्द्वानी की इस परिवर्तन यात्रा में भाजपा नेता लगातार परिवर्तन को प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से ही जोड़ते रहे। 22 नवंबर को शाह अल्मोड़ा में परिवर्तन यात्रा के तहत आयोजित जनसभा में शरीक हुए थे और वहां भी उन्होंने सत्ता परिवर्तन की बात की थी। सात दिसंबर को हल्द्वानी पहुंचकर शाह ने यात्रा में छिपी परिवर्तन की इस अपील को और व्यापक अर्थ दे दिया। शाह ने प्रदेश में व्यवस्था बदलाव तक की बात की। उन्होंने कहा कि परिवर्तन का मतलब है पारदर्शी, कानून व्यवस्था को मानने वाली और ज़िम्मेदार सरकार। एक तरह से शाह ऐसा कहते हुए प्रदेश में भाजपा के चुनावी अभियान को भी एक और चुनौती का सामना करने को कह गए। शाह ने प्रदेश के किसी मुद्दे को उभारने की भी कोई कोशिश नहीं की। केवल समय भरने के लिए भाजपा का स्थानीय शीर्ष नेतृत्व ही इन मुद्दों को छू पाया।
अमित शाह का कुल भाषण 13 मिनट, उपस्थिति 19 मिनट
कुल भाषण 13 मिनट, कुल उपस्थिति 19 मिनट। जनसभा में शाह की उपस्थिति का यह रिपोर्ट कार्ड भी रहा। आयोजकों की पिछले कई दिनों की मेहनत के हिसाब से यह कुछ भी नहीं माना जा सकता। ऐसा करते हुए शाह शायद यह भी जता गए कि अब चुनाव में उतरने का समय है। फटाफट दौरा चुनाव की पहचान है। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व अब शायद ही सुस्ताता नजर आए। हालांकि भीड़ के लिहाज से आयोजन सफल होने पर अपनी पीठ थपथपाना उसका हक बनता है।शाह ने मंच पर और मंच से परे भी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को कोई भाव न देकर एक बार फिर जता दिया कि प्रदेश में भाजपा का चेहरा कमल का ही है।
बीजेपी के लिए उत्तराखंड में भी चुनाव के खेवनहार मोदी ही होंगे। इस मिजाज़ को भांपते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी कोई चुहल नहीं की। इतना ध्यान जरूर रखा कि रैली में उनके समर्थक अलग से जरूर पहचाने जाएं। इतना होने पर भी एक ‘हिच’ कहीं से उभर ही आया। शाह ने प्रदेश में परिवर्तन को आक्रोश से भी जोड़ दिया। शाह ने कार्यकर्ताओं से साफ कहा कि परिवर्तन को ‘आक्रोश’ के साथ बोलिए। शायद शाह पर भी खासे बहुमत से ही सरकार बनाने का दबाव है और उन्हें पता है कि यह परिवर्तन सहज नहीं हो सकता। इस परिवर्तन के लिए जुनून तो चाहिए ही। यह प्रदेश भाजपा के लिए एक चुनौती भी होगी।