देहरादून: CM हरीश रावत और खेल मंत्री जब खेल विभाग द्वारा रखी गई छात्र संसद में पहुंचे तो छात्रों के सवाल के आगे सीएम को भी मानना पड़ा कि दरअसल यह सवाल वाकई आईना दिखाने वाले थे जिनसे बचाना मुश्क़िल था. कई बार तो ऐसे बाऊंसर और यार्कर पड़े कि बोल्ड भी होना पड़ा. एक छात्र ने पूछा कि स्कूल खेलों में प्राईवेट स्कूलों की भागेदारी नहीं होती, एक छात्रा ने कहा उसे खेल के लिए परिवार का सहयोग नहीं मिल पाता.
मंत्री और सीएम दोनों हुए ख़ामोश
दरअसल, CM रावत ने जवाब देते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे पास 3890 खेल के मैदान हैं, जिनका उपयोग किया जा रहा है. वर्ष 2017 तक इनकी संख्या 5000 करने का प्रयास किया जाएगा. सीएम ने खेल विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीण खिलाड़ियों को छात्रवृति व भत्ता देने का प्रस्ताव तैयार किया जाए .कार्यक्रम समाप्त होने के बाद खुद सीएम ने मीडिया से बातचीत में यह माना कि छात्रों के सवाल वाकई बैकफुट पर लाने वाले थे. स्थिति तो यह भी थी की कई सावलों पर तो सीएम और खेल मंत्री ख़ामोशी इख़्तियार करते नज़र आए.