कुनाल के मन मे छवि की छवि छप गई, दोनों ने एक दूसरे के मन मे जगह बनाली थी, छवि कुनाल की पसन्द के कपड़े पहनती कुनाल का नाम आते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान बिखर जाती,।
कुनाल के बारे में ही सोचती रहती एक तरह से वो खुद में कुनाल को जीने लगी थी, कुणाल भी छवि को रिझाने के लिए तरह -तरह के तरीके खोजता रहता, ।
साथ घूमना,एक दूसरे की बातों को अहमियत देना छवि को लगने लगा कि दुनियाँ उसकी मुठ्ठी में है , क्योंकि कुनाल उसके साथ हैं और कुनाल ने भी छवि की जुल्फों में ही आशियाना बना लिया था छवि की मस्त आँखो में वो स्वयं को खोजने की कोशिश करता ।
ऐसे हँसते खेलते दो साल बीत गए , छवि प्रेम में पड़कर पढ़ाई पर भी ध्यान देना भूल गई और इसके चलते उसका रिजेलट अच्छा नहीं आया ये देख छवि निराशा ये घिर गई लेकिन कुनाल के समझाने के बाद उसे कुछ अच्छा महसूस हुआ ।
एक दिन खुशी ने छवि को समझाया," देख छवि ..कुनाल मेरा दूर का भाई है , मैं सब कुछ तो नहीं उसके बारे में लेकिन इतना मैं ने भी देखा है कि वो बहुत जल्दी चीजों से ऊब जाता है, ।
सुना है उसके काफी अफेयर भी है, खुशी छवि को समझा रही थी लेकिन छवि को न जाने क्यों ऐसा लग रहा था जैसे वो कुनाल के प्रति उसे भड़का रही हो ।
छवि ने तमतमाते हुए कहा' ख़ुशी ...!! तुम शायद मुझे से ज्यादा उसे नहीं जानतीं होंगी इतने दिनों में मैं ने उसमें बहुत कुछ देखा है , मुझे नहीं लगता मुझे उससे ज्यादा अच्छा लड़का मिल सकता है,।
ख़ुशी समझ गई कि छवि प्यार में पागल हो गई है वो कुछ भी बोलेगी उसे उल्टा ही समझेगी खुशी इस मामले में अपनी पक्की दोस्ती नहीं छोड़ना चाहती थी हालांकि अब छवि खुशी को पहले जैसे समय नहीं दे पाती थी। क्योंकि ज्यादातर समय वो कुनाल के साथ ही बिताती।
छवि इस रिश्ते से बहुत ज्यादा जुड़ चुकी थी रात के समय जब वो किताब को पढ़ने बैठी तो उसे ख्याल आया कि पढ़ाई खत्म होने के बाद वी कुनाल से शादी कर लेगी, ये सवाल अचानक नहीं आया था।
छवि जब भी कुनाल के साथ होती या उसके बारे में सोचती तो
सहसा उसे ये ख्याल आ ही जाता, लेकिन वो कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। उसने फैसला किया कि वो कल जब कुनाल से मिलेगी तो वो ये बात जरूर कहेगी ।
जब अगले दिन छवि कुनाल से मिली तो उसने कुनाल को गले लगाते हुए प्रेम में डूबकर कह कहा" कुनाल ........!!! क्या तुम मुझे सच मैं प्यार करते हो।
'हाँ अपनी जान से ज्यादा और तुम तो मेरी जान भी हो कुनाल ने छवि के गाल पर चुटकी लेते हुए कहा,
तो हमें...........! छवि की बात पूरी नहीं हो पाई कि कुनाल ने उससे कहा" आज मेरा मूड बहुत खराब है कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा,
कुनाल की ये बातें सुनने के बाद छवि ने सोचा" ये समय शादी की बात कहने के लिए ठीक नहीं है फिर कभी अच्छा मौका देखकर बात कर लूगीं। छवि ने कुनाल के कंधे पर प्रेम से सिर रख दिया।
छवि अच्छे समय का इतंजार करने लगी, उसने फैसला ले लिया था कि कुनाल से शादी के लिए हाँ बुलवाने के बाद घर वालों को भी मना लेगी छवि को डर था
कि फाइनल ईयर के बाद घर वाले शादी के लिए दबाब जरूर बनायेगे , और वो किसी और से शादी की सोच भी नहीं सकती क्योंकि उसने कुनाल को अपने मन मे देवता की तरह बसा लिया था,
जब रात के काफी समय के बाद भी कोई मैसेज नहीं आये कुनाल के तो छवि बेचैन हो गई फिर ये सोचकर मन को समझा बैठी कि वो काम को लेकर बहुत परेशान हैं ।
मैं उसे फालतू में और परेशान नहीं कर सकती लेकिन मन तो मन है नहीं मानता फोन को बार -बार चैक करने लगती छवि ने कोई सॉन्ग सुनना चाहा लेकिन मन में उतर ही नहीं रहा,ख़ुशी से बात ली वो उसने बताया वो रेलवेस्टेशन पर है घर जा रही है क्योंकि मां की तबियत ठीक नहीं,
"ठीक है ; तुम्हारा सफर अच्छा रहे,......!!छवि की उदासी आवाज में झलक गई ख़ुशी ने पूछा" क्या हुआ तेरी आवाज में ये उदासी कैसी क्या कुनाल ने कुछ कहा..?
" कह ही तो नहीं रहा कुछ उसने कोई मैसेज नहीं किया और कॉल भी की तो वो नहीं .........!!! छवि फपक पड़ी,
"अरे छवि होगा किसी काम बिजी; तू इतनी टेंशन नहीं ले, अच्छा फ़ोन रखती हूं ट्रेन आ गई है,
ओके...! छवि ने गले मे सास भरते हुए कहा,
खुशी सोचने लगी कि छवि कितनी पागल हो गई है कुनाल को लेकर ,
ख़ुशी की कही बात छवि को तसल्ली दे रहीं थीं रात के इस सुने पन में छवि कुनाल की याद में खोकर ही सो गई।