भाग (15)
छवि ने वैभव का स्वागत करती हुई बोली" आप आ गए मुझे यकीन नहीं हो रहा,
तुम ने इतने दिल से जो बुलाया था कि मैं सोचने पर मजबूर हो गया,
अच्छा किया आप ने , मैं आप को फिर से धन्यबाद कहना चाहूंगी,
वैभव" तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो इस लुक में,
छवि की आँखे शर्म से झुक गईं छवि ने फिर से थेँग्स कहा, उसने देखा कुनाल उसे घूरे जा रहा है अतः छवि ने भी उसे जलाने की कोई कसर नहीं छोड़ी,
चलिए उधर चलते हैं छवि ने वैभव की बाहों में हाथ डालते हुए कहा वैभव भी इस अंचिते व्यवहार से हैरान था लेकिन वो समझ गया कि कुछ गड़बड़ है,
ओके, वैसे तुम अभी आई हो क्या..? वैभव ने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा"
"हाँ काम इतना है कि बात नहीं सकते , छवि ने बार-बार इधर -उधर मुड़ते हुए देखा क्योंकि उसका मन कुनाल की हरकतों पर था
"कोई है जो तुम को डिस्टर्व कर रहा है.?वैभव ने गम्भीर होकर कहा,
" छवि ने बात को टालना चाहा लेकिन ऐसा कर न सकी, हां है जो नासूर बनकर बहता रहता है जो अतीत बन चुका है न जाने क्यों वर्तमान बनना चाहता है।
क्या तुम भी उसे पाना चाहती हो, वैभव ने ड्रिंगस का घुट भरते हुए कहा,
" पाना, !!?नहीं नहीं अब नहीं ; मैं ने अपनी राह बदल ली है , छवि कहते -कहते गम्भीर हो गई ,
तो इस खेल में मैं तुम्हारा साथ दे सकता हूँ , वैभव ने मुस्कुरा कर कहा,
"वो कैसे..????
" ऐसे वैभव ने छवि की कमर पर हाथ रखकर उसे अपने करीब कर लिया छवि एक बार को बहक गई जैसे किसी ने उसकी आत्मा को छू लिया हो
धीरे शब्द से वैभव ने छवि के कान में कहा" दाएं देखो क्या ये भूरे रंग की शर्ट वाला ही है ।
छवि ने आँखे घुमा कर देखा सिर हिलाकर हाँ कहा, छवि को ऐसे देख कुनाल तो आग का गोला हो गया, जले पर नमक छिड़कते हुए वैभव ने तेज आवाज में कहा" छवि क्यों न डांस किया जाए, वैभव ने छवि को बाहों में भरकर थिरकने लगा छवि भी वैभव का साथ पा कर बेहद खुश थी उसे उसका साथ अच्छा लग रहा था उसे एक बार को भी नहीं लगा कि उसे इस का विरोध करना चाहिए ।
मुझे लगता है उसे तुम से कुछ ज्यादा ही ...? नहीं ऐसा कुछ नहीं है उसका मेरे प्रति क्या नजरिया है ये मैं अच्छे से जानती हूं,
" मुझे लगता है छवि , तुम को उससे जितना हो सके बचना चाहिए, क्योंकि मैं ने उसकी नजरों में एक अजीब हरकत देखी है जो ठीक नहीं,
"हाँ मैं उससे बचने की पुरी कोशिश करुँगी अच्छा मुझे अपनी फ्रेंड के पास जाना चाहिए बहुत देर हो गई छवि मुस्कुरा कर खुशी के रुम की ओर चली जाती है।
खुशी की शादी की रस्में होने लगतीं है खुशी बादामी रँग के लहंगे में बहुत खूबसूरत दिख रही थी देखते-ही देखते बिदाई की रस्म होने को आई नम आंखों को लिए छवि खुशी से जा लिपटी , ख़ुशी ने सिसकते हुए कहा" अपना ख्याल रखना, छवि !!
तुम भी..!!!
विवाह संपन्न हो चुका था कुनाल छवि से मिलने के लिए बेताब सा था पर छवि ने एक भी मौका नहीं दिया उसे , पर छवि की नजरें वैभव को ढूंढ रहीं थी
लेकिन वैभव चला गया था छवि ने भी वहाँ से चलने की ठानी तभी कुनाल ने छवि का पीछे से हाँथ थाम लिया"क्या है हाँ.,कौन हैं वो जिसके साथ तुम बहुत इतरा रही थी?"छवि ने गुस्से से भरकर कहा मेरा बॉयफ्रेंड. !!
"कुनाल ने अपनी पकड़ को ओर जकड़ दिया छवि दर्द से कराह गई ,
" तुम को पता है मैं कितना जिद्दी हूँ,
" सुनो ये पागल पन अपने पास ही रखो, ये क्या है जब मन किया आ गए मन किया चले गए ये दिल है कोई ढाब नहीं तुम्हारी तो शक्ल से भी नफरत है मुझे पता नहीं किस घड़ी में तुम से पाला पड़ा अगर मुझे पता होता तुम आ रहे हो तो मैं नहीं आती, मेरा हाथ छोड़ो कुनाल नहीं तो अच्छा नहीं होगा तुम जैसों से दूर ही रहना चाहिए मेरी मत मारी गई जो तुम को अपना समझ गई।
छवि तनतनाती बाहर निकल गई कुनाल के दिल की मलिनता उसकी आँखों से झलक रही थी।
छवि की आँखों मे खुशी को लेकर बहुत सारी यादें थी जिसके आने -जाने से छवि की आँखों मे नमी थी आकर खुद को आइने में निहार बैठी छवि; क्योंकि उसकी तारीफ ही इतनी हुई लेकिन इतनी तारीफों में उसे वैभव की तारीफ की ही याद आई होंठो के साथ आँखे भी मुस्कुरा गईं,
"अगर वैभव नहीं आया होता तो मेरा वहाँ एक पल ठहराना मुश्किल था, सच कहा वैभव ने मुझे कुनाल से बचाना चाहिए ओह हो ;मैं तो फोन नबंर लेना ही भूल गई कल देखती हूँ हरी-थकी छवि की आँखों मे नींद उमड़ आई।
अपने दिन की शुरुआत छवि ने एक गर्म प्याली से की , रात के हँसी ख्याल उसे गुदगुदा रहे थे जल्दी से तैयार होकर छवि वैभव से मिलने उसके ऑफिस जा निकली।
ऑफिस आते ही उसे ख्याल आया कि वो क्या कहेगी उससे कि वो क्यों आई है यहाँ? ओह नहीं मैं ने तो कोई बहाना ही नहीं सोचा, छवि सोच ही रही थी कि वैभव ने छवि को आवाज देते हुए उसे अपने पास बुला लिया,
" अच्छा किया तुम आ गईं मैं तुम से मिलने घर ही आने वाला था,
अच्छा पर क्यों..?छवि उत्सुकता से पूछा,
"क्योंकि तुम्हरा ये ब्रेसलेट मेरे पास है ,
ये देखकर छवि थोड़ी सकुचा गई, "ओह सॉरी मुझे तो इसकी बिल्कुल की याद ही नहीं रही,
"होता है क्योंकि तुम बिजी ही इतनी थी,
छवि कुछ न कह सकी वैभव के पास शब्द नहीं थे अतः कुछ देर के लिए सन्नटा सा रहा दोनों के बीच तभी वैभव को किसी ने पीछे से कसते हुए उसका नाम पुकारा वैभव माई लव...!!
वैभव ने हाथ टटोलते हुए कहा' अरे टीना तुम..! कब से मैं तुम्हारी राह तक रहा था
इन से मिलो ये मेरी ...!वैभव की बात पूरी नहीं हुई थी कि टीना से ठंडे शब्दों से कहा" गलफ्रेंड!!
बस छवि के विचार जो कन्हि न कन्हि वैभव के लिए पनप रहे थे वे मर गए अपनी सोच और किस्मत पर छवि हँसते हुए सोचने लगी, वाह री मेरी किस्मत , जहाँ भी जाऊं जलील ही होना पड़ता है न जाने किस काली सियाई से लिखी है मेरी तकदीर अब तो मुझे रोना भी नहीं आता,
" नाइस; बहुत खूब, अच्छा मैं लेट हो रही हूँ चलती हूँ छवि ने अपने कदम भारी मन से आगे बढ़ाए टीना की बातों ने वैभव को उलझाला लिया ।
छवि रास्ते भर सोचती रही ये क्या हुआ मुझे फिर वही बैचनी , वही तड़प , पर क्यों ?, मैं ने कैसे सोच लिया कि सब मेरे मुताबिक है क्या मैं प्यार कर बैठी नहीं नहीं-; ये ठीक नहीं है किसी की जरा सी अच्छाई या अपना पन मुझे क्यों प्यार लगने लगता है गलत कोई नहीं मैं ही हूं मुझे कभी सच्चा प्यार मिल ही नहीं सकता कोई सच्चा इंसान मेरे जीवन मे आ ही नहीं सकता। छवि के आँखो से अब आँशु नहीं झर रहे थे लेकिन छवि ह्रदय आघात से बहुत पीड़ित थी ये पीड़ा किसी ने नहीं दी ये उसकी मासूमियत और भोलेपन की पीड़ा थी जिसे छवि अब खत्म कर देना चाहती थी उसने अपने से एक वादा किया कि बस और कहानी नहीं जन्म लेगी , आज से मैं अपने कोमल ह्रदय का त्याग क़रतीं हूँ आकाश में घिरे बादल बरस पड़े अब कोई नहीं जान सकता कि छवि रो रही है या वारिश। टेबल पर फिर से छुटा ब्रेसलेट एक नई कड़ी का इंतजार करने लगा।