भाग (16)👩👨❣️💞💓💕💕
अपनी इच्छाओं से परेशान छवि बहुत ही दुखी हो गई ये प्यार- व्यार कुछ नहीं है ये सिर्फ एक माया है इस को हर कोई नहीं समझ सकता, छवि ने फैसला कर लिया वो इस शहर में नहीं रहेगी चली जायेगी अपने घर ,
ऑफिस से घर घर से ऑफिस बस यही काम था छवि का, घण्टों अकेले बैठे रहना उसे बहुत अच्छा लगता ये हवा ये आकाश ये प्रकृति मनो कुछ कहती , अपनी इच्छओं और जरूरतों में इंसान कहाँ इस खामोसी को सुनता है छवि अपने मे जीने लगी ।
एक रोज अपने रूम की सफाई करते हुए छवि को बहुत अच्छी क़िताबों का साथ मिला मनो वो उस मे खो गई, शाम होते ही उसने बाहर जाने की सोची क्योंकि मौषम बहुत ही सुहाना था, खाने की तलने-भुनने की खुशबू हवा में साथ फैल रही थी।
छवि दरवाजा खोल कर बाहर निकने वाली ही थी कि आवक रह गई क्योंकि सामने कुनाल था जिसकी आँखों से एक हैवानियत सी नजर आ रही थी छवि ने दरवाजा फेरना भी चाहा लेकिन असफल रही कुनाल अंदर आ चुका था उसने छवि के साथ छेड़खानी की छवि ने जब विरोध किया तो हाथापाई भी की, छवि को भय लगने लगा था ।
" मुझे कोई इग्नोर करे मुझे बर्दाश्त नहीं, ये कोई नई बात तो नहीं जो तुम को एतराज है ये फिर दिखावा किस लिए, हां! उसने छवि को जकड़ लिया था जीवन मे ये भी दिन देखने को मिलेगा ये सोचा भी नहीं था।
कुनाल अपनी हद से गुजरता कि तभी वैभव वहाँ आ जाता है वो कुनाल से भिड़ जाता है छवि शक्तिहीन सी जमीन पर पड़ी रहती है , वैभव ने कुनाल को अपनी मजबूत बाहों में जड़क लेता है और पुलिस को फोन कर उसे उनके हवाले कर देता है
"छवि तुम ठीक हो ..?वैभव ने वेचैन होकर पूछा,
"छवि ने कुछ कहा मानो वो किसी से सच या झूठ बताना ही नहीं चाहती थी, अगर मैं न आता तो न जाने क्या हो जाता , छवि....छवि...! छवि वैभव पुकार रहा था लेकिन छवि कुछ न कह सकी वो बेहोश हो गई थी।
कुछ दिनों के बाद सब सामान्य हो गया एक दिन वैभव छवि से मिलने उसके घर आता है छवि सपाट भाव लिए गुजरती हुई भीड़ को खिड़की से देख रही थी,
हाए!! कैसी हो,?"
" हाँ ठीक हूँ
" तो मुस्कान क्यों गायब है?
" कभी-कभी ऐसे ही रहना ठीक लगता है"
" पर युँ उदास रहना एक बीमारी है,
" छवि ने फिर कुछ न कहा लौटकर फिर से खिड़की ओर देखने लगी।
"तुम ने कुछ खाया, ये कुछ फ्रूट्स है मैं चाहता हूँ कि तुम इसे खाओ ,
वैभव का ये अपना पन देखकर छवि का मन भर आया ,
ठीक है ये कहकर उसने एक पीस ले लिया वैभव ने न जाने क्या -क्या बातें कीं होंगी उससे लेकिन एक भी बात उसने गौर से नहीं सुनी,
" अच्छा मुझे लगता है कि तुम को आराम करना चाहिए ओके, वैभव विदा लेकर वहाँ से चला जाता है छवि वैसी की वैसी ही वहीं बैठी रहती है
जैसे उसे किसी के आने-जाने से अंतर नहीं पड़ता, कुछ देर बाद फोन को हाथ लगाया सभी सोशल साइट्स चैक कीं तो देखा वैभव ने उसे हर जगह फॉलो कर रखा था वैभव कोई साधारण इंसान नहीं था काफी अच्छी पहचान थी उसकी अपने क्षेत्र में, ये देख छवि के चेहरे पर आती-आती हँसी रुक गई, वो खुश होकर भी खुश नहीं थी।
छवि के बदले व्यवहार पर ऑफिस में भी उसे टोका गया था" कि छवि क्या हुआ तुम खोई -खोई सी रहती हो?छवि बड़ी चालाकी से बात को टाल देती कोई नहीं जानता कि उसके मन मे क्या चल रहा है।
छवि का मन भर सा गया था अपना सामान पैक कर इस शहर को हमेशा के लिए टाटा कहने वाली थी छवि।
अपने लगेज में साथ छवि बस का इतंजार करने लगी तभी हांफता हुआ वैभव उसके पास आता है एक पल के लिए छवि की सांसे रुक जाती है वैभव को देखकर, ।
"क्या है ये सब भाग रही हो हालातों से, वैभव ने फूलती सांस के साथ कहा,
" नहीं ,मुझे जाना है मुझे ये शहर जचा नहीं घुटन होती है मुझे इसकी हवा में,
घुटन हवाओं में नहीं इंसान के जहन में होती है फिर कन्हि भी चले जाओ शांति नहीं मिलती क्या तुम अपने सारे सपने भूल गईं?
"शायद हाँ जब जिंदगी उलझ जाती है तो शौक पीछे छूट जाते हैं
"ये कोई बात नहीं किसी के लिए अपने जीवन का सार छोड़ दो ये ठीक नहीं है छवि?
" तुम कुछ भी कहो जो इंसान टूट चुका होता है उसे ज्ञान की सारी बातें बुरी लगती हैं,
" ये तुम्हारा मत है इस दुनियां में सभी टूटे हुए ही हैं सब लेकिन फिर भी कुछ करने की चाह कुछ पाने की चाहा उनको जोड़े रखती है।
" मेरे पास ऐसा कोई जरिया नहीं है जिसको आधार बना कर जीवन जीऊं! जब मैं लोगों को उनके हिसाब से जिंदगी जीते देखती हूँ
तो एक टीस उठती हैं मन मे, कि कुछ लोग बहुत लकी होते हैं सब उनकी मर्जी के अनुसार होता है और एक मैं हूं जिसको अपना बनाना चाहूं वो बहुत दूर चला जाता है
मैं जीवन मे एक अच्छा जीवन साथी पा कर जीवन जीना चाहती थी लेकिन मुझे लगता है मुझे कभी भी अच्छा और चाहने वाला जीवनसाथी मिल ही नहीं सकता छवि विलख पड़ी।
" छवि ये डर है तुम्हरा , दुँनिया में पांच में से दो लड़कियां anuphobia की शिकार होतीं है जिनको लगता है कि उनको कभी सच्चा जीवन साथी नहीं मिल सकता, इस बहम को निकाल दो छवि!!!
" मेरे जीवन में जो हुआ वो सच है मेरा बहम नहीं इस लिए खुद से भाग रही हूँ,
ठीक है सीधे पॉइंट पर आते हैं, मैं तुम्हारें साथ जीना चाहता हूँ!!
छवि आवक रह जाती है लड़खड़ाए शब्दों से पूछती है"और टीना..........??
"ओह तो ये भी बात है वो अतीत बन चुकी है बस जब कभी सामने होती है तो दिखावा करते नहीं चूकती,
पर मुझे। मेरा मतलब मुझ मैं कुछ खास नहीं ...छवि ने नजर छुपाते हुए कहा,
"ओ हैलो; मैं कार नहीं खरीद रहा हूं अगर ये ही सब देखना होता है तो कोई भी खास नहीं , अगर किसी को हर बात पर चैक करके उसे जीवन साथी चुना जाएगा तो इसे विजनिस डील कहेंगे नाकि प्यार...!!
" छवि वैभव की बातों से प्रभावित होती है लेकिन जाहिर नहीं होने देती "
" वो बात अलग है कि तुम मुझे अपने जीवन मे लाना नहीं चाहती,
" मुझ मैं तुम मैं अंतर है पैशन हो या प्रोफेशन....!ये समाज बहुत बातें करता है
" ओह तो ये बात है ठीक है तुम भले ही मेरे जीवन मे आओ या न आओं लेकिन मैं तो आ चुका हूँ मैं कुनाल की तरह जीवन मे घुसने की जबरजस्ती नहीं करूंगा लेकिन साथ नहीं छोड़ूँगा।
" मैं शायद तुम्हारें लायक नहीं ,और टूटकर बिखने की अब मुझ में शक्ति भी नहीं है ,
"एक बात बता दो क्या तुम मुझे ...!!
"हां पसन्द क़रतीं हूँ और प्यार भी लेकिन पा के खोने से डरती हूँ, मुझे मेरा गुजरा कल परेशान करता है ,छवि ने रोते हुए कहा
" छवि इस दुनिया मे सभी का अतीत है परेशानी ये है कि सभी अपने अतीत को स्वीकारते हैं दूसरे के अतीत को नहीं खास कर लड़कियों के अतीत को तो विल्कुल नहीं इस दोहरे चरित्र को धारण किये ये समाज कैसे अच्छे समाज की कल्पना के लेता है,
छवि आशुओं की धार में बहे जा रही थी।
" छवि तुम मेरे जीवन मे आओ या न आओ मैं सिर्फ तुम को तुम्हारें सपनों के साथ देखना चाहता हूं ये कहावत नहीं सिद्ध होने दो कि पिता के घर से डोली और पति के घर से अर्थी , बस यहीं जीवन है एक नारी का, नहीं छवि बहुत बड़ा जीवन है इसे जीकर कर देखो एक शशक्त नारी की तरह , जीवन कोई बिस्किट का पैकेट नहीं जो खत्म होने पर दूसरा ले लोगी ये जीवन है बार बार नहीं मिलता,
वैभव की बातों को सुनकर छवि का मरा मन जीने के लिए आतुर हो उठा है आज तक सभी ने अपने स्वार्थ की बातें कीं थी लेकिन किसी ने उसे ऐसे जीने के लिए कभी प्रेरित नहीं किया था, छवि सोच ही रही थी कि तभी बस आ जाती है बस कंडक्टर ने आवाज देते हुए कहा" आ जाओ ...आ जाओ जल्दी करो, ।
छवि दो रास्ते हैं तुम्हारे पास फैसला तुम्हारें हाँथ है
छवि दुविधा में पड़ गई , वैभव भारी मन किये लौटने लगा बस की आवाज से लगा छवि ने घर जाने का ही फैसला लिया छवि के फैसले पर वैभव को गुस्सा आया और तरस भी आखिर वो हार गया , लेकिन मन नहीं माना पलट कर देख ही लिया वैभव ने
"अरे छवि वहीँ खड़ी थी अपने सामान के साथ " अब क्या देख रहे हो चलो समान ले चलो,
"क्यों नहीं अभी ले चलता हूं वैभव ने आँखो को पोछते हुए कहा,
तुम क्या मुझे आजमा रहीं थी,
" शायद हां,
, देखो मुझे औरों की तरह नहीं समझना
" ये तो वक्त पर छोड़ दो , छवि ने मुस्कुराते हुए कहा,
इस लव लाइफ में बहुत कुछ है बशर्ते अच्छे लोगों का साथ और जीने की चाह हो तो,वैभव ने फैली आँखो से कहा,
हाँ बिल्कुल ,छवि ने वैभव का हाथ थामते हुए कहा,
, क्या तुम इस नए सफर के लिए तैयार हो..?
"हाँ पूरी तरह, दोनों के हाथ की पकड़ मजबूत हो गई थी एक नई लव लाइफ शुरू हो गई थी ।
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धन्यबाद 🙏🤝✍️✍️
।। विराम।