भाग(14)
छवि के मुँह से सहसा निकल ही गया "सर आप.?छवि को अपने सामने देखकर वैभव भी कम दंग नहीं हुआ था,
हाँ छवि लेकिन तुम यहाँ ...?
" सर वो...! मैं ......! आप को ही देखने आई थी, अपने कहे शब्दों पर गौर करने से छवि को शर्मा आ गई वैभव भी ठहाके लेते हुए बोला" मुझे बहुत खुशी हुई ये सुनकर नहीं तो मैं तो तुम्हें देखने आने वाला था,
वैभव की बातों में जादू सा था जो भी उससे मिलता उसका दीवाना हो जाता, वैसे मैं ने तुम को आते देख लिया था लेकिन ज्यादा व्यस्तता होने के कारण मैं सामने न आ सका, अम्म्म; कॉफी..?वैभव नेअपने पन से कहा,
छवि मना ही करने वाली थी हां कर बैठी,
कॉफी के पीने के साथ -साथ छवि ने बहुत से सवाल कर दिए, जैसे:-आप ने पहले अपने को पुलिस ऑफिसर क्यों बताया?
"वो इस लिए क्योंकि उस समय तुम को बचाने के लिए इससे दमदार किरदार कोई नहीं लगा,
" वैसे तुम उस दिन बहुत अजीब लग रही थी,
अजीब मतलब?
" अजीब मतलब ; आज तुम मासूम दिख रही हो और बहुत सारी मुस्कुराहट है चेहरे पर लेकिन उस दिन मायूसी और बेचैनी थी बहुत सारे सवाल झलक रहे थे चेहरे पर तुम्हारें,
वैभव बात सुन छवि ने झट से कहा"-क्या मैं अपने भावों को छुपाने में कामयाब नहीं हूँ,
" नहीं ऐसी बात नहीं , कोई साधरण लोग ये बात नहीं पकड़ सकते , जो मैं पकड़ सकता हूँ,
" अच्छा बताओ इस वक्त मैं क्या सोच रही हूँ छवि ने मासूमियत से कहा,
" अभी तुम कुछ सोच नहीं रही सिर्फ बातें करना चाहती हो, अपने दर्द को बताना चाहती हो लेकिन उसे छुपाने की कोशिश कर रही हो,
" छवि ये सब सुनकर गम्भीर हो जाती है क्योंकि वैभव की सारी बातें सच थी जैसे उसके पास कोई जादू हो वैभव की आँखों मे एक चमक थी
गहराई के साथ, जो कोई उस मे देखता तो खो जाता छवि का मन उड़ने लगा वो अपने पास्ट से याद कर बैठी वर्तमान की स्थिति उसे मानसिक पीड़ा देने लगी थी
तभी छवि का फोन बज उठा देखा " ख़ुशी..; छवि ने कान पर रखते हुए पूछा"तुम कहां हो ख़ुशी ?
मैं घर पे, तुम आना तो फलों की टोकरी लेती आना जरूरी है छवि,ख़ुशी ने छवि को समझाते हुए कहा,
" ठीक है आती हूँ फोन को रखते हुए छवि ने जाने की आज्ञा ली,
"वो सर मेरी फ्रेंड की शादी है इस लिए जाना होगा?
"आज ही है?
"नहीं परसो...!!
"ओह,,,,, क्या मुझे बुलाया जाएगा, वैभव ने बड़े अपने -पन से कहा,
छवि पहले सकुचाई नहीं फिर बोली" क्यों नहीं सर ; हम तो आप को पहले ही बुलाते जान-पहचान नहीं थी इस लिए इनविटेशन नहीं दे पाए, अब ऐसे ही कह देते हैं आप शादी में जरूर आना,
" हाँ क्योंकि नहीं !!
" ओके सर चलती हूँ!छवि ने हाँथ हिलाकर विदा ली,
बैभव ने भी स्वीकृति दे दी।
छवि ने अपने लिए एक खूबसूरत ड्रेस ली ब्लैक कलर की साड़ी, उसके साथ पहने के लिए हल्की सी ज्यूलरी भी खरीदी ।
आज मेहंदी की रस्म में छवि ने जी भर के डांस किया और हाथों में मेहंदी भी रखी , फिर कुछ देर बाद खुशी को रोता देख उसके गले से लिपट कर खुद भी रोने लगी, क्यों न रोये आखिर जब सब अजनबी थे तब ख़ुशी ने ही तो उसे अपनाया था , उसके बहुत उपकार है मुझ पर ।
आज शादी है सोचा ऑफिस से छुट्टी ले लूं लेकिन बॉस की धधकती आँखो के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई , शाम होते ही छवि घर पर भागती हुई आई अपने के शीशे में देखती बोली" ऐसी शक्ल लेकर जाऊँगी? छवि अपने चेहरे की लीपा-पोती में लग जाती है,
आखिर आठ बजे जाते हैं छवि को तैयार होने में इस बीच कुछ काम वो लेपटॉप भी कर लेती है ख़ुशी उस पर बरसते हुए कहती है"क्या यार! आज भी , तुझे मेरे किसी भी प्रोग्राम में लेट आने की आदत है क्या?
नहीं"ख़ुशी मैं तैयार हूँ आती हूँ छवि ने उड़नतश्तरी की भांति खुशी के यहाँ का रुख किया,
छवि का लुक सभी को अपनी ओर खींच रहा था, खुशी ने देखते हुए कहा"ओह तभी मैडम को इतनी देर हुई
और नहीं तो क्या यूंही नहीं चली आती ,
"हाँ बहुत खूबसूरत लग रही है ,
" अच्छा मैं बाहर होकर आती हूँ छवि तेज कदमों बाहर जाती है तो किसी से टकरा जाती है,
सॉरी" मैं ने देखा नहीं छवि ने अपनी साड़ी की पिलेट्स को ठीक करते हुए कहा
" छवि लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई तुम को सम्भालते हुए,
छवि ने अब तक उस अजनबी का चेहरा न नहीं देखा था क्योंकि उसकी ब्रेसलेट साड़ीके उलझ गई थी।
लेकिन जब नजर गई तो उसके दिल मे एक धकक्का सा लगा, अतीत उसके सामने खड़ा था छवि क्रोध और ग्लानि से भर गई थी ।
छवि ने डबडबाई आँखों से उस अजनबी को घूरा ।
मुझे पता था तुम जरूर मिलोगी मुझे, तभी तो मैं कब से तुम को ढूंढ़ रहा था यहाँ? कुनाल ने दर्द भरे लहजे में कहा,
" ओह अजीब है न इतने दिनों में तुम में ये पता लगाने की कोशिश नहीं कि मैं जिंदा हूं या मर गई लेकिन आज इस महफ़िल में मुझे ढूंढ रहे हो, ये दोहरा चरित्र लेकर तुम कब तक यूँही सभी को पागल बनाते रहोगे? छवि ने गुस्से से भर कहा,
" ठीक है जितना चाहो गुस्सा कर लो , मुझे तुम्हारा गुस्सा भी अच्छा लगेगा , जो हुआ उसके लिए सॉरी!!
मैं तुम्हारें साथ फिर से जीना चाहता हूं कुनाल ने दर्द भरी आवाज में कहा,
" मैं ने जो शरू में गलती की उसकी सजा पा चुकी हूँ मुझे अपनी जिंदगी का तमाशा नहीं बनाना,
"छवि वहाँ से आगे निकलने लगती है
तभी रौस में भरकर कुनाल कहता है ' मैं तुम्हें पा कर रहूँगा, छवि!!
" ये अब सरल नहीं है कुनाल क्योंकि मेरी जिंदगी में कोई आ चुका है,
छवि ने गेट से आते वैभव को देखा , देखते ही छवि का चेहरा मुस्कान से भर गया और वो दौड़ती वैभव के पास चली गई वैभव ने भी छवि को आता देख अपना चेहरा खुशी से भर लिया,
ये सब देख कुनाल गुस्से से जलने लगा।