भाग (6)💓💓💔💔
सुबह जब हुई तो वही रात की बेचैनी थी छवि के चेहरे पर थी फोन को उठाकर देखा कोई मैसेज नहीं कोई रिप्लाई नहीं, अब तो छवि का सिर चिंता से फटा जा रहा था ,
आज कॉलेज में कुछ प्रोजेक्ट भी सम्बेड करने है, फ्रेस होने के बाद कॉफी कर घूँट भरती हुई छवि सोचने लगी आखिर ऐसा क्या जिसे मुझे बताने में कुनाल को परेशानी थी, जब कि मैं सब अपनी पर्सनल बातें उससे जाहिर कर देतीं हूँ, कितने करीब आ चुके हैं हम और अब कोई बात छुपाने की गुंजाइश नहीं होती पर कुनाल ने मुझे बताना जरूरी क्योंकि नहीं समझा क्या वो कुछ मुझ से छुपा रहा है,? कन्हि खुशी। का कहा सही तो नहीं.......!??
नहीं- नहीं ये नहीं हो सकता मैं अभी कुछ गलत नहीं सोचूँगी छवि ने कुछ देर बाद कॉलेज का रास्ता पकड़ लिया, काम पूरा न होने पर कॉलेज में अलग से डाँट खानी पड़ी, क्लास खत्म होने के बाद जैकी ने छवि को रोकते हुए कहा"छवि क्या हुआ सब ठीक तो है न, तुम बहुत उदास दिख रही हो,
छवि ने बनावटी हँसी के साथ कहा"नहीं ऐसा कुछ नहीं बस यूँही मेरी तबियत ठीक नहीं है,
जैकी कुछ पूछने वाला था लेकिन छवि का मूड ऑफ देकर वो बात दिल मे दबा गया।
और छवि का भी किसी से बात करने का मन नहीं था सो जल्दी से अपना रास्ता नापते हुए आगे निकल आई, क्या करूँ खुशी से बात करना ठीक नहीं होगा जहाँ कुनाल काम करता है वहाँ पता करुं तो छवि ने कुनाल के ऑफिस के लिए रुख किया, चिन्ता का घेरा इतना कि वो सब कुछ भूल बैठी थी।
रिशेप्सनिस्ट से बात की तो उसने कुनाल के एक दोस्त को बुलाया उसे आते ही जो बात कही जिसे सुनने के बाद छवि टूटे आइने की तरह जमीन पर बिखर गई
उसने कहा वो कल सुबह ही हैदराबाद को निकल गया था क्योंकि उसकी शादी जो हैं मुझे भी इनवाइट किया लेकिन मैं जा नहीं सका, वैसे तुम्हें मैं ने उसके साथ बहुत बार देखा है वैसे क्या रिश्ता......?
"फ्रेंड; थे हम छवि ने रुंधे गले से कहा,
थे मतलब अब नहीं उस आदमी की बातों में एक बदसलूकी थी उसे पता था कि कुनाल के अनेकों लड़कियों से सम्बन्ध हैं और जब किसी बुरे इंसान के किसी के रिश्ते जुड़ जाएं तो आप भले ही कितने अच्छे क्यों न हों सामने वाला आप को बुरी नजर से ही देखेगा छवि के साथ भी यही हुआ ।
लड़खड़ाते हुए वो बाहर आ गई उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था स्कूटी को स्टार्ट कर वो सीधे घर आई आते ही फपक पड़ी जी चाहा उतना रोई कोई शांन्त करने वाला पास नहीं था न आँशु पौछ ने वाला, गुस्से में कुछ चींजों को भी तोड़ दिया जिन में कुछ चींजे कुनाल की दीं हुईं थी।
ख्यालों के रेत पर बना प्रेम का महल सच्चाई की हवा से ढह गया ये वो दुख था जिसे वो किसी से भी नहीं शेयर कर सकती थी क्योंकि जितनी वो कुनाल के करीब थी उतनी दुनियाँ से दूर।
आज छवि ने अपने को ठगा सा पाया, आज वो सही होकर भी सही नहीं थी क्योंकि अपने प्यार का अनमोल हीरा एक बहरूपिये को दे दिया था छवि की परछाई अंधेरे में उसी पर हँस रही थी छवि इस दर्द को सहकर कर भी नहीं सह पा रही थी दिल टूटकर ख्याबों के आंगन में बिखर गया था।