★★★★★(भाग 1)
छवि और कितनी देर लगेगी तुम को आने में, बहुत देर से तेरा इंतजार कर रही हूँ खुशी ने नाराज होकर कहा,
" खुशी मैं क्या करूँ मेरी स्कूटी खराब हो गई है रिपेरिंग के लिए दिन से ही भेज दी थी लेकिन अभी तक नहीं आई मैं तो तैयार बैठी हुई हूँ,
एक काम करते हैं। मैं कुनाल को भेजती हूँ तू उसके साथ आजा, छवि ने उछलते हुए कहा,
"ये कौन है ? ऐसे किसी अजनवी पर विश्वास नहीं कर सकती मैं...! समझी...!छवि ने तमतमाते हुए खुशी से कहा,
ओह..!मेरी छवि वो कोई अजनवी नहीं है मेरा दूर का रिश्तेदार है बंगलौर रहता है अभी-अभी दिल्ली आया है क्योंकि उसे कुछ अपना कुछ नया काम शुरू करना है
छवि ने बीच मे टोकते हुए कहा" हाँ ठीक है मुझे क्यों बता रही है ये सब , चल जल्दी से भेज उसे...! नहीं तो फिर टेक्सी ही देखनी पड़ेगी,
छवि फोन रखने वाली ही थी कि उसे कुछ याद आ गया वो पूछ बैठी" खुशी मैं उसे पहचानूँगी कैसे...?
" मैं उसका फोटो वॉट्सप पर सेंड कर देती हूं अब सिर दर्द मत दे जल्दी से आजा.. खुशी ने ये कहकर फोन रख दिया,
ग्रेजुएशन पूरा करने के लिए छवि। दिल्ली चली आई पढ़ाई के साथ -साथ वो जॉब भी करना चाहती थी ताकि आर्थिक सहायता हो सके ,जॉब ढूंढी भी लेकिन ये सब आसान भी नहीं था और किसी का कोई सहारा भी नहीं, वो बहुत दिनों तक खाली रही धीरे -धीरे सारे पैसे खर्च हो गए घर से फिर से पैसे मांगने की छवि में हिम्मत न थी क्योंकि पहले से भाई की पढ़ाई का खर्चा कम न था और पहले ही बहुत खर्चा कर चुके हैं हम पर अब और हाथ नहीं फैला सकती उनके सामने मालूम है वे किसी न किसी तरह से पैसों का इंतजाम कर ही लेंगे लेकिन मुझे ये सब अच्छा नहीं लगेगा और उन्होंने मेरे लिए ये सब किया है ये कम नहीं है समाज के खिलाफ जाकर भी मुझे यहाँ भेजा है ताकि पढ़-लिखकर कुछ बन जाऊं छवि मन के भावों में भटकने लगी ।
एक दिन मॉल में छवि कुछ खरीद रही थी उसमें कुछ पैसे की कमी पड़ गई छवि ने निराश होकर वो चीज वापस वहीँ रख दी पास खड़ी खुशी ये देख रही थी
उसने देखा कि छवि बहुत निराश हैं ख़ुशी ने कम पड़े पैसे दिए तो छवि ने इंकार करते हुए कहा"नहीं ...नहीं इस कि कोई जरूरत नहीं,
"मैं अहसान नहीं कर रही तुम पर जब तुम पर हो जाए तो दे देना खुशी ने कम पड़े पैसे काउंटर पर रख दिये खुशी की दरियादिली देखकर छवि का मन भर उठा,
दोनों खरीदी हुई चीज को लेकर एक ओर जा कर बाते करने लगीं" हाय..!मेरा नाम छवि है आप ने बिना जाने मेरी सहायता की वो भी पैसों की आज के समय मे कौन करता है वो भी इतने बड़े शहर में। आप को बहुत -बहुत थेँक्यू....!!!!!!
" मुझे लगा तुम्हारी सहायता करनी चाहिए तो कर दी शायद मैं ऐसी ही हूँ ओह सॉरी ..!मैं अपना नाम बताना तो भूल ही गई हाय मेरा नाम खुशी है खुशी ने छवि की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा,
" छवि ने भी सेक हैंड करते हुए कहा,ओह तभी आप दूसरों को भी खुश रखने की कोशिश करती हूँ छवि ने मुस्कुराते हुए कहा,
" हँसते हुए खुशी बोली"- शायद तुम ने ठीक पहचाना मैं ऐसी हूँ जब मैं इस शहर में नई आई थी तब मुझे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा तब ये शहर मुझे बहुत बुरा लगता था लेकिन फिर कुछ समय बाद सब सही हो गया आज मैं खुश हूँ
छवि के चेहरे पर एक चिंता की रेखा तन गई छवि के उतरे चहरे को देखकर खुशी ने पूछा"क्या हुआ इतनी उदास क्यों हो गईं कोई खास बात...!छवि ने मुस्कुराते हुए न में सिर हिला दिया।
"ठीक है कोई बात नहीं; मैं पूछना नहीं चाहुगीं अगर तुम बताना ही न चाहो,
" छवि खुशी का अपनापन देखकर रहना सकी बोली"-वो असल मे बात ये है कि ....! मैं सोच रही थी कि मैं आप के पैसे कैसे दे पाऊँगी..?ये कहकर छवि उदास हो गई.
" बस इतनी बात के लिए लाखों की मुस्कान खो रही हो चलो मत देना, खुशी ने मुस्कुराते हुए कहा"।
"नहीं.. नहीं , आप पहले ही बहुत कर चुकीं हैं असल मे पैसे की बहुत किल्लत आ गई है पढ़ाई भी करनी है
" ओह... ! तो ये परेशानी है पैसों के बिन तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है इस दुनियाँ में अगर तुम को कोई परेशानी न हो तो कुछ कहना चाहती हूँ , खुशी ने थोड़ा झिझकते हुए कहा
" जरूर बोलिए...! क्या कहना चाहतीं हैं आप,
" मैं एक पार्लर में काम करती हूँ बहुत बड़ा पार्लर है वहां एक हेल्पर की जरूरत है अगर तुम्हें.....!!! छवि के उतरते चेहरे देखकर छवि पूरी बात ही नहीं कर पाई थी,
छवि खुशी की बात सुनकर कुछ सोचकर बोली" मैं तैयार हूं"।
दोनों ने नंबर एक दूसरे को दिए और अगले दिन मिलने की बात करते हुए वे अपने-अपने रास्ते चली गई।
खुशी ने पार्लर की हैड से छवि की मुलाकात करा दी जब हैड को पता चला छवि को काम के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो उसने कम पैसों की बात रख दी चूंकि छवि को पैसों की बहुत जरूरत थी इस लिए उसने कम पैसों में हामी भर दी.
" बात खत्म हो जाने पर छवि और खुशी बाहर निकल आये छवि कुछ उदास दिख रही थी खुशी ने छवि की ओर देखते हुए कहा"अगर तुम्हारा मन नहीं तो मना भी कर सकती हो, पर उदास मत हो, और कोई जरूरी तो नहीं कि तुम ये काम हमेशा के लिए करो जब तक कोई और जॉब नहीं मिल जाती तब तक कर लो,
खुशी की बातों ने छवि के उड़ते मन को शांन्त कर दिया, वो ख़ुशी की बात से सहमत हो गई थी आज इन दोनों की दोस्ती को एक साल होने को आई हैं बहुत कुछ बाँट लेतीं है दोनों , दुख -सुख छवि बहुत कुछ सीख चुकी है दूसरी जगह जॉब करने का तो मन ही नहीं है छवि का उसने सोच लिया है कि अब ग्रेजुएशन होने के बाद ही कुछ और देखेगी ।
अपनी दोस्ती के पुराने दिन याद करते हुए छवि दीवार पर टँगी पहाड़ों के बीच से उगते सूरज की तस्वीर देख रही थी तभी किसी ने कार आवाज दी
छवि ने खिड़की से नीचे की ओर झांका और अपनी लाल रंग की गाउन को समेटती हुई सीढ़ियों से नीचे उतर कर गई जहाँ उसने देखा"एकअठाइस साल का युवा हल्के गहरे रंग की चैक की शर्त पहने हुए हैं रँग सांवला ही है पर चमक दार है आँखों पर चश्मा भी लगा रखा है उफ रात के समय मे भी ,कुछ घमंडी टाइप दिखता है पर मुझे क्या कुछ देर के लिए ही तो साथ जाना है छवि मन में विचार करते हुए उस सफेद रंग की कार के पास पहुँच गई।
छवि को देखकर कुनाल ने फोन में झांका देखा हां है तो यही लड़की , फ़ोटो से भी ज्यादा खूबसूरत तो ये हकीकत में लग रही है खुशी ने कुनाल को भी छवि का फोटो दे दिया था ताकि वो उसे पते पर पहुँचकर पहचान सके,
चलते हुए ही छवि ने कुणाल की फोटो देख ली थी छवि बिल्कुल कार के पास आ गई थी कुणाल छवि की सादगी और मुस्कान देखकर इम्प्रेस हो गया था छवि पीछे बैठने वाली थी कुनाल ने आगे अपनी खाली सीट का दरवाजा खोलते हुए कहा" हाय....! सुनिए आप इधर बैठ जाइए...!
एक बार के लिए छवि ने मना करना चाहा लेकिन मन बदल कर वो उस सीट पर जा बैठी कार का दरवाजा बंद भी कुनाल ने किया छवि ने उसे एक नजर देखा फिर अपने फोन में नजरें जमा लीं, कुनाल ने अपनी सीट बेल्ट बांधी और फिर कार एक तेज रफ्तार के साथ आगे निकल गई।