छवि का जीवन अस्त- व्यस्त हो गया था क्या दिल टूटने पर इंसान इतना मानसिक रोगी हो जाता है ?कि उसे और अपने आस -पास के लोगों का तनिक भी ख्याल नहीं रहता।
शायद हाँ , ये हमें स्वार्थी बना देता है जहाँ अपने सुख से सुखी और अपने दुख से दुखी होते हैं ये ही हाल छवि का था, कई कोशिश कीं कुनाल से बात करने की लेकिन सभी कोशिश न कामयाब हुईं, कोई सोच भी नहीं सकता कि इतना टूटकर चाहने वाला इतनी जल्दी बदल सकता है ।
कैसे उसके मना करने पर भी वो प्रेम करने के लिए अड़ा रहा, मुझे लगा वो इतना मेरे लिए दीवाना है तो शायद मुझे हमेशा चाहेगा लेकिन आज मैं और मेरा मन गलत साबित हो गए सच कहती है दुँनिया यूँ हर किसी पर विश्वास करना ठीक नहीं,छवि मन के द्वंद में उलझ गई थी वो अपने को कोस जा रही थी।
छवि का किसी काम मे मन नहीं लग रहा था उसने बाहर निकलना बंद कर दिया था बस रोएं जा रही थी आज भी खिड़की पर खड़ी छवि अपने भाग्य को कोस रही थी तभी दरवारजे की घण्टी बजी छवि ने भारी मन से गेट को खोला तो गुस्से ,,खिन्नता ,, और शर्म से भर गई क्योंकि ख़ुशी से नजर मिलाने की उस में हिम्मत नहीं थी।
क्या हुआ तू पार्लर क्योंकि नहीं आई और सुना है तू कॉलेज भी नहीं गई ये सब क्या है छवि......?
" छवि बिना कुछ कहे अंदर चली गई खुशी समझ नहीं पाई आखिर क्या हुआ इसे," वो पूछती हुई अंदर आई"क्या हुआ जो तुम मुझे नहीं बताना नहीं चाहतीं ?
"छवि कुछ नहीं कह सकी और ख़ुशी के सीने से लग कर रोने लगी, तुम ठीक थीं मुझे धोखा मिल गया , ये सब तुम्हारी बजह से हुआ है ख़ुशी !न तुम उस दिन उसे मुझे लेने भेजतीं और ये सब न होता , मेरा इतना दिमाग खराब है कि मैं कुछ भी कर सकती हूँ मेरे सारे सपने टूट गए। छोड़कर चला गया वो मुझे...!!
" ये सुनकर ख़ुशी को धक्का लगा लेकिन खुद को सम्भालते हुए छवि से बोली" छवि !!अपने आप को सम्भालों , इतना गुस्सा अच्छा नहीं वो तुम्हारें बिन जीवन जीने चला गया और तुम टूट रही हो उसे कोई अंतर नहीं पड़ता तो तुम को क्यों..?
" पड़ता है अंतर....! क्योंकि मैं ने उसे सब समर्पित कर दिया था ये सोच कर ये ही मेरी मंजिल है उसके लिए खेल होगा लेकिन मेरे लिए जान-मान की बात है, काश मैं तुम्हारी बात मान पाती तो आज ये सब नहीं होता।
तो अब काम नहीं करोगी ?कब तक अपने को इस अंधेरे में बंद करोगी, ये हल नहीं है तुम को जीना है अपने लिए नहीं तो अपने घर वालों के लिए! जहाँ तक मेरा और कुनाल का सम्बंध है तो मैं ने अपने के नाते उसे तुम्हें लेने भेजा था मुझे क्या पता किस के मन मे पाप पल रहा है ।
खुशी की बात से छवि की नजर ग्लानि से झुक गई,
और छवि अच्छे लोंगों को धोखा मिलता ही है अच्छे लोग बुरा नहीं करते और न ही सोचते, भूल जाओ कुछ नहीं हुआ और अगर तुम मरने की सोच रही हो तो ये गलत है क्योंकि किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा , यहाँ तक घर वाले कुछ देर रोते हैं लेकिन कुछ समय भूल जाएंगे क्योंकि उन्हें भी लगेगा कि तुम ने किया उसकी सजा तुम में खुद ही पाली।
इस लिए उठो और अपने आने वाले समय के लिए तैयार हो जाओ, खुशी की प्रेम और प्रेणना दायक बातें सुनकर छवि फ़िर से खुशी के गले लग जाती है, ख़ुशी अपने साथ लाई टिफिन से उसे खाना भी खिलती है।
छवि कहती है" खुशी अगर तुम नहीं होतीं तो आज मैं न जाने क्या करती इतनी टूट जो गई, तुम बहुत अच्छी हो, उफ! मैं तो भूल ही गई कि तुम घर गईं थी वहाँ सब ठीक हैं ?
"हाँ सब ठीक है, मैं तो यहॉं न आने की सोच रही थी लेकिन फिर मन किया कि चलती हूँ लेकिन आज सोचतीं हूँ अगर नहीं आती तो क्या होता?
"सॉरी ख़ुशी मैं ने अंधे प्यार की बजह से तुम से बहुत बुरा कहा। कोई बात नहीं मैं ने तब भी बुरा नहीं माना और अभी भी बुरा नहीं मानती , खुशी छवि को मना कर पार्लर ले आती है,
वहाँ छवि की गिरी हालत देखकर सभी कहतें है "क्या हुआ छवि तुम ठीक हो,?
छवि सभी के सवालों से परेशान होकर रोने वाली थी कि ख़ुशी कहती है" वो थोड़ी तबियत खराब हो गई है तभी इसे के घर गई थी ,
तो फोन तो उठाना चाहिए था न, कितनी कॉल कीं हैड ने गुस्से और प्रेम के मिश्रित भाव से कहा।
थोड़ी देर बाद सब सामान्य हो गया छवि के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान नजर आई जिसे देखकर खुशी खुश हो गई।
अगले दिन एक छवि मन को समझते हुए कॉलेज गई उसने रात भर जागकर प्रोजेक्ट तैयार किये थे जिनकी तारीफ करते-करते सर थक नहीं रहे थे।
दो -तीन दिन के नोट्स लेकर जैकी फिर से हाजिर हुआ छवि जैकी की इस बात से खुश हुई , थेँक्यू!!, छवि ने क्लास में बैठ कर ही सारा काम किया, कुछ लड़कियों ने हेल्प करने को कहा तो छवि ने मना कर दिया, छवि के इस बदले स्वभाव से सभी हैरान थे क्योंकि वो बहुत खुश और चंचल स्वभाव की थी।
काम खत्म करके छवि ने नोट्स जैकी को दे दिये , और एक छुटे तीर की तरह बाहर निकल गई।
छवि ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर दे दिया, लेकिन मन तो मन है कुनाल की आते ही सब खेल बिगड़ जाता छवि एक उदासी से भर जाती,
अगले दिन जैकी छवि से कहता है कि वो इस बार होने वाली प्रतियोग्यता में सामाजिक मुद्दे पर बोलना चाहता है छवि कहती है जरूर; तुम को इस मे भाग लेना चाहिए।
तभी जैकी कहता है क्या तुम नहीं भाग लोगी..?छवि कुछ सोचकर नहीं में सिर हिला देती है, क्योंकि वो जीने जरूर लगी थी लेकिन मन अभी भी मरा हुआ था ।जैकी उसके बदले स्वभाव को पढ़ लेता है।