नई दिल्ली : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद कई राजनैतिक दल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उनका कहना है कि इसके द्वारा इसके द्वारा वोटों में गड़बड़ी की जा रही है। यह पहली बार नही है जब चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर हल्ला मचा हो इससे पहले दुनियां के कई देशों में ऐसे विवाद सामने आ चुके हैं।
भारत में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) वर्ष 2009 में लोकसभा चुनावों के बाद पहली बार विवादों में आई थी। चुनावों के नतीजे सामने आते ही EVMदेश में ये पहला मौका था जब ईवीएम विवादों में आई थी।
दूसरी बार गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान स्वामी ने कांग्रेस पर ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि कांग्रेस पार्टी ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की होती तो भाजपा को गुजरात में 35 सीट और मिल जातीं। इस दौरान स्वामी अपनी शिकायत लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चले गए।
दुनिया के और किन किन देशों में ईवीएम विवाद ?
यूरोप और उत्तरी अमेरिका इससे पहले ही तौबा कर चुके हैं। इसके अलावा ईवीएम मशीनों पर बहुत से देशों मे पाबंद लगाई जा चुकी है।
नीदरलैंड ने ईवीएम मशीन मे पारदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए पाबंदी लगा दी थी।
आयरलैंड ने 51 मिलियन इसकी अनुसंधान पर खर्च करने के बाद पारदर्शिता का हवाला देकर पाबंदी लगा दी।
जर्मनी ने पारदर्शिता न होने का हवाला देकर इसको असंवैधानिक करार दिया और पाबंदी लगा दी और साथ ही कहा की इसके साथ छेड़ छाड़ करना आसान है ।
यूएस-कैलिफोर्निया ने इसमे पेपर ट्रेल (जैसे एटीएम मशीन से पर्ची निकलती है) न होने की वजह से बैन कर दिया।
फ़्रांस और इंग्लैंड ने कभी इनका प्रयोग किया ही नहीं।
विकसित देश जैसे कि वेनज़ुएला, मेसीडोनिया, यूक्रेन में सीआईए (CIA) के एक सेकुरिटी एक्सपर्ट “स्टीगल” ने इन मशीन का गहन अध्यन करने के बाद पाया की इन मशीन के साथ छेड़ छाड़ करना बहुत आसान है।
ईवीएम मशीन की इन्हीं गड़बड़ियों के चलते यूएस और वेस्टर्न यूरोप भी अब बैलेट पेपर का प्रयोग करने लगे हैं।
यूरोप के 8 देशों मे इन मशीनों पर प्रयोग किया और त्रुटियों के चलते वापस बैलेट पेपर प्रयोग करने लगे सिर्फ दो देश बेल्जियम और फ़्रांस मे ही ईवीएम मशीन का प्रयोग जारी रखा।