नई दिल्ली : दो-फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साईकिल पर साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले 'फ्रीज' होने का खतरा मंडरा रहा है। आने वाले दिनों में प्रतिद्वंधी गुटों द्वारा यदि सपा के चुनाव चिन्ह पर दावा किया जाता है तो इसे चुनाव आयोग फ्रीज कर सकता है। यह तो अब साफ हो चुका है कि समाजवादी पार्टी में दो फाड़ हो चुका है। अब सम्भव है कि अखिलेश यादव चुनाव आयोग के पास जाएंगे और खुद को असली समाजवादी बताने की बात कहेंगे।
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार इसमें चुनाव आयोग देखता है कि समाजवादी पार्टी की कार्यकारणी में कुल सदस्यों, विधायकों सांसदों में से किसके पक्ष में कितने हैं। यदि समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज किया जाता है तो अखिलेश यादव को नया चुनाव चिन्ह चुनना पड़ेगा। सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव इसकी तैयारी पहले की कर चुके हैं। वो चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह ले सकते हैं। यह पार्टी तकनीकी रूप से अभी जीवित है।
अखिलेश यादव द्वारा जिस तरह आज अधिवेशन बुलाकर कई फैसले लिए गए उन पर अगर कानूनी रूप से नजर डाली जाये तो यह स्पष्ठ है कि किसी भी पार्टी में अधिवेशन बुलाने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष के पास ही होता है। इसीलिए मुलायम सिंह ने अखिलेश को अध्यक्ष मानने से ही इनकार कर दिया है। असली अधिवेशन मुलायम सिंह ने 5 जनवरी को बुलाने का फैसला किया है। उम्मीद है कि इस अधिवेशन में भी कुछ आम फैसले होंगे।