नई दिल्ली: 11 फरवरी को पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 ज़िलों की 73 सीटों पर वोटिंग होनी है. यह पारंपरिक रूप से बसपा का गढ़ रहा है. इस क्षेत्र में सबसे असरदार आखिर कौन लोग है पढ़िये पूरी रिपोर्ट...
1. अफजल सिद्दीकी ( पश्चिमी यूपी में बसपा भाईचारा प्रभारी)
कई नेताओं को बीएसपी इसलिए छोड़नी पड़ी कि वे अपने बच्चों के लिए पार्टी में उचित जगह नहीं दिला पाए. लेकिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पिछले दो साल से पश्चिम यूपी में जिस बड़े पैमाने पर काम किया, उसमें बहनजी ने खुद अफजल को बड़ी जिम्मेदारी दी. इलाके में सैकड़ों भाईचारा संभाएं कर चुके अफजल की कोशिश पश्चिम में दलित मुस्लिम समीकरण को फौलादी बना देने की है. वे लगातार यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मुसलमानों का भविष्य बीएसपी के ही साथ में है. उन्हें लगता है कि सपा में लंबे समय तक चली अंतर्कलह और आरएलडी का टूटा समीकरण बीएसपी के काम को और आसान बना देगा.
2. अजित सिंह (अध्यक्ष, आरएलडी)
पश्चिमी यूपी की राजनीति में लंबे समय दबदबा रखने वाले अजित सिंह करियर के मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उनके गृह जिले बागपत की तीन में से दो सीटें बीएसपी ले गई थी. उसके बाद वे लोकसभा चुनाव भी हार गए. इस बार इनकी चुनौती उस छपरौली सीट को बचाने की है जहां आरएलडी आज तक कभी नहीं हारी. मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट मुस्लिम एकता टूट जाने से पार्टी के जनाधार को गहरी चोट पहुंची हैं. मंझे हुए नेता ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है और वे बाजी पलटने वाली चाल का इंतजार कर रहे हैं.
3. संगीत सिंह सोम (विधानसभा क्षेत्र: सरधना)
मेरठ जिले की इस सीट से विवादित नेता एक बार फिर बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी सोम इस चुनाव को भी सांप्रदायिक रंग देने की तेयारी में हैं. उनकी गाड़ी से दंगों की सीडी जब्त की गई, जो तनाव फैलाने के लिए बांटी जा रही थी. उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई है.
4. रामवीर उपाध्याय (विधानसभा क्षेत्र: सादाबाद)
मायावती की पिछली सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय पार्टी में सतीश चंद्र मिश्र के बाद दूसरा प्रमुख ब्राह्मण चेहरा हैं. उन्हें अपनी सीट जीतने के साथ ही पश्चिमी यूपी में ब्राह्मणों को साथ बनाए रखने का कठिन काम भी करना है. जाट प्रभाव वाली इस सीट पर उन्हें आरएलडी से कड़ी टक्कर मिल रही है.
5. योगेंद्र उपाध्याय (विधानसभा क्षेत्र: आगरा दक्षिण)
आगरा की इस शहरी सीट से उपाध्याय को बीजेपी ने दुबारा चुनाव मैदान में उतारा है. उनके सामने अपनी सीट बचाने के साथ ही बीएसपी के किले को ढहाने की चुनौती भी है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी जिले की नौ सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीत पाई थीं. उपाध्याय को लगता है कि मोदी लहर अब भी कायम है.
6. लक्ष्मीकांत बाजेपयी
भारतीय जनता पार्टी ने सदन में पार्टी के नेता को सातवीं बार मेरठ से अपना प्रत्याशी बनाया है. इस बार का उनका मुख्य मुकाबला सपा कांग्रेस गठबंधन से होगा.
7. शाहिद मंजूर
अखिलेश यादव के कैबिनेट मंत्री तीन बार से मेरठ की किठौर सीट से विधायक हैं. इस बार उन्हें बीएसपी की ओर से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
8. प्रदीप माथुर
विधानसभा में कांग्रेस के नेता माथुर मथुरा सीट से पांचवीं बार चुनाव जीतने की तैयारी में हैं. अगर सपा से गठबंधन काम कर गया तो जीत उनके लिए बहुत कठिन नहीं होगी.
9. जफर आलम (विधानसभा क्षेत्र: अलीगढ़)
सपा विधायक एक बार फिर से पार्टी का परचम फहराने के लिए चुनाव मैदान में हैं. अलीगढ़ी तालों की मशहूर कंपनी लिंक लॉक के मालिक की छवि साफ सुथरी है. उन्हें उम्मीद है कि नोटबंदी इस बार उनकी जीत को पहले से कहीं आसान बना देगी. बीजेपी के संजीव राजा उन्हें कड़ी टक्कर देने वाले हैं.
10. श्रीकांत शर्मा
बीजेपी ने मथुरा सीट पर तेजतर्रार राष्ट्रीय सचिव और अमित शाह के करीबी शर्मा को मैदान में उतारा है. अगर वे जीत गए तो सरकार में उनकी बड़ी भूमिका होनी तय है. हालांकि इसके लिए उनको अपना पहला विधानसभा चुनाव बड़े अंतर से जीतना होगा.