मिल गया चाँद पर चंदा न मिला
मिल गया संसार पर कोई अपना न मिला
देखा तो सब कुछ पर कोई सपना न मिला
ढूढ़ा तो अपना पर कोई अपना न मिला
सोचा जो खवाबों को उसमे रहम न मिला
देखा तो चांदनी को पर चाँद न मिला
सोचा तो सूरज पर आग ही आग मिला
चाहा तो तुमको पर तुम्हारा प्यार न मिला
सोचा तो था अपना पर तेरी बात न मिली
मुझे मिला प्यार पर सम्मान न मिला
मिली फ़रयादें पर यादें न मिली
मिला कोई मिला पर वफ़ा न मिला
ढूढ़ा तो अमृत पर मिला तो जहर मिला
ढूढ़ा तो शांति पर मिली तो अशांति मिली
मिल गया चाँद मिला पर चंदा न मिला
मिल गया है जीवन पर परिश्वम न मिला
मिल गयी यादें पर फ़रयादें न मिली
मिल गया चाँद पर चांदनी न मिली ॥॥