गुजारिश
न शिकवा न गुजारिश
खुदा से है अरमान ,मेरी कस्ती क्यों जली
जला क्यों मेरे अरमान
जल रहा जवानी की आग में
पर ज़िन्दगी की रौशनी कहा
मेरी ज़िंदगी तो यु ही
ढल गयी लाखों अरमान में
न गुजारिश है खुदा से ,बस एक ही है फर्याद
ज़िन्दगी में मैंने अपने
छोड़ा है जो मिशाल
हर एक की ख्वाइस ,पूरा मै करता रहू ॥
देखता रहे ये जग सारा
अरमान दीवाने की ,सोचेगा जमाना कभी
तेरे राहुल दीवाने को
हर एक दी तो मेरे जहा में मिशाल दी
लेकिन इस दीवाने ने भी ,मिशाल में भी घी दाल दी
सोचता रहेगा ये जमाना पूरा
क्यों यही है "राहुल दीवाना " ॥॥॥