दर्द हो जब दिल भरा
काँटों की क्या जरुरत है
अगर साथ है दिल अपना
तो औरों की क्या जरुरत है
जिस कविता में कवी का रहम हो
उसमे पेन की क्या जरुरत है
जिस डॉक्टर के दिल में हो भरी दर्द
उसको ब्लेड की क्या जरुरत है
अगर लोगों के दिल में हो अपनत्व
तो लोगो को क्या दोस्ती की जरुरत हो
जब हो दुनिया अपने साथ
तो छह की क्या जरुरत है
जब हो दर्द भरा ये दिल
तो इस पर जहर उगलने की क्या जरुरत है
अगर जो गुरु न दे शिछा
ऐसे गुरु की क्या जरुरत है
जब मुझे हो कुछ करना
तो उसमे कल की क्या जरुरत है
दर्द हो जब दिल में भरी
तो काँटों की क्या जरुरत है ॥॥॥