सोहरत
कौन सारे अपसाने देखता है
कौन सितम कौन तारे देखता है
न कोई सितम बस ये शिकायत है
भरी जवानी में आपकी ये हालत है
कौन चाँद कौन तारे देखता है
न आकाश न अम्बर कौन तारे देखता है
सारी दुनिया बस आपकी हालत देखती है
कौन सफर कौन धुप देखता है
कौन छाव कौन पवन देखता है
कौन विस्तार कौन कमरा देखता है
सारी दुनिया हमारी शान देखती है
कौन शिकवा कौन शिकायत
मेरे कौन अपने थे कौन देखता है
फिर भी सारी दुनिया हमें देखती है
कौन इबादत कौन सराफत देखता है
हर ब्यक्ति अब मौसम देखत है
कौन गजल कौन कविता देखता है
अब हर ब्यक्ति मोबाइल देखता है ॥॥