बर्दास्त
दोस्ती के ये गम कभी
भूल न हम पाएंगे
हम दोस्त तुमसे
जुदाई बर्दास्त कर नहीं पाएंगे
ज़िन्दगी के सिखर को उस मोड़ तक पंहुचा देना
देख ऐ दोस्त ये दुनिया आँखों पर पट्टी ही बथ जाये
शायद वह दिन दूर नहीं
जब हम आपसे भी ज्यादा दूर होंगे
बर्दास्त करके मेरी दोस्ती
को कभी आजमाया न अपने
शायद आपके लिए मेरे
दिल में कही कुआ सा बन गया
दोस्ती के ये गम कभी
भूल न हम पाएंगे
अपनी ज़िन्दगी ही कुछ ऐसी
मेरे दोस्त जुदाई सह न पायेगे
ऐसी जुदाई से अच्छी ही होती
की न मिला हुआ होता दोस्त का ये प्याला
दोस्ती के उस गुण को , भुला कही न हम पायगे
शायद मेरे दोस्त दोस्ती की जुदाई हम
अब कही कभी हम सह नहीं पाएंगे ॥॥