3 जून को मन रहा,विश्व साइकिल दिवस,खूबियाँ इसमें इतनी सारी,हर व्यक्ति खरीदने को विवश।साइकिल की सवारी,है सबसे न्यारी,बढ़ाती है यारी,बड़ी लगती है प्यारी।बच्चों को जान से प्यारी,तो बड़ों की है दुलारी,करवाती
जिंदगी माँग ले।हम तो यारा एवन साइकिल के, तू माँग करे, कार फरारी की। ऐसा युग जिसमे, इंसान, इंसान से डरे कोरोना महामारी से। अपने अपने साधन खोज लो, न डिमांड करो जागवारा की।आदमी की कीमत से ज्यादा, गैस तेल पानी महंगा हो गया।इस दौर के वायरस से, अपना, अपने से पराया हो गया।इस मौत के तांडव से, जीवन देने वाल
साइकिलबचपन अछूता नही साइकिल से, किसानों के फसल को ढोती साइकिल, डाकिया की साइकिल गुजरती घण्टी की टिंग-टाँग से। लेखपाल के झोले को ढोती साइकिल, न्यूज़ पेपर लेकर घर-घर जाती साइकिल, बच्चों के स्कूली बैग को संभालती साइकिल। आजादी के बाद से देश मे चली साइकिल, लॉकडाउन में बीमार
साइकिल थी तो धीरे धीरे मजे मजे में चलाते थे. गांव से शहर तक जाने में एक घंटा लग जाता था. अगर शहर की तरफ जाते जाते शहर से वापिस आता हुआ हरेंदर मिलता तो हम पैडल रोक लेते और बायां पैर सड़क पर टिका कर खड़े हो जाते थे. वो भी सड़क के दूसरी तरफ बाय
कबीर नरूला का मन मोटर साइकिल देख कर बड़ा ललचाता था. उसे ख़याल आता की बाइक फटफट कर के दौड़ रही है और मैं कमीज़ के ऊपर के बटन खोल कर चला रहा हूँ और शर्ट के कॉलर हवा में फड़फड़ कर रहे हैं वाह! बाइक मिले तो बस ज़िन्दगी बन जाए. बड़े लड़कों की महफ़िल म
मेंरे भाइयों और दोस्तों सपा की साईकिल यात्रा कहाँ तक चलेगी क्या यहीं पर समाप्त हो जाएगी या और आगे जाएगी |लेपटाप वितरण क्या साईकिल को और आगे ले जाएगी या नहीं अभी तक तो साईकिल गांव-गांव तक चली अब और कहाँ तक चलने की बारी है क्या साईकिल की गुण्डागर्दी और चलेगी इस समय साईकिल काफी तेज चल रही है सड़क बनवान