देहरादून: 8 नवंबर यानी नोटबंदी के बाद से ही कालेधन के साथ-साथ जाली नोट भी भारी मात्रा में सामने आरहे हैं। बैंकों के अलावा डाकघरों में भी जाली नोट जमा कराए गए हैं। हरिद्वार के मुख्य डाकघर में अभी तक 19 हज़ार के जाली नोट जमा कराए जा चुके हैं। मुश्क़िल तो यह हो गई है कि जाली नोटों का भुगतान कर्मचारियों को अपनी जेब से करना पड़ सकता है। डाककर्मियों में इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद से ही बैंकों और डाकघरों में पुराने नोट बदलने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। जिसके चलते डाकघरों में भी 15 दिसंबर तक नोट बदले गए। शुरूआती पखवाड़े में मुख्य डाकघर में 50 लाख से ज्यादा का लेन देन हुआ।
बिना प्रशिक्षण के दे दी गई थी नोट की मशीन
कनखल, ज्वालापुर और भेल के उप डाकघरों में भी रुपये बदलने और जमा कराने वालों की लंबी कतारें लगी हुईं थी। रुपये बदलने और जमा कराने वालों की भीड़ में जाली नोट भी डाकघरों में पहुंच गए। अभी तक 19 हजार रुपये के जाली नोट जमा कराए जा चुके हैं। जबकि डाकघरों में नोटबंदी के अगले दिन ही जाली नोट की पहचान करने वाली मशीनें लगाई गई थी। लेकिन कर्मचारियों के पूरी तरह प्रशिक्षित न होने के कारण मशीन के बावजूद जाली नोट लिए जाते रहे। हालांकि अब कर्मचारी असली और जाली नोटों की पहचान करना सीख गए हैं।
कर्मचारी कर रहे जेब से भुगतान
हरिद्वार के मुख्य डाकघर में पोस्टमास्टर के रूप में कार्यरत अंबरीश पुंडीर ने बताया कि 1000 और 500 के नोट बदलने और खातों में जमा कराने के दौरान करीब 19 हजार रुपये के जाली नोट डाकघर में पहुंचे हैं। इनका भुगतान कर्मचारियों को अपने पास से करना पड़ सकता है। इस बारे में आला अधिकारियों को जानकारी दे दी गई है।