नास्तिकों से डरता क्यों है इस्लाम?
एक सोशल मीडिया ग्रुप पर इस सवाल का जवाब एक एक्स-मुस्लिम ने दिया है। उन्होंने लिखा है कि “अगर इस्लाम को छोड़ने से मौत का डर नहीं होता, तो अब तक इस्लाम का अस्तित्व मिट गया होता। अगर मजहब को त्याग करने पर कुरान में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं होता, आज मुसलमान की संख्या न के बराबर होती। जितने इमाम, खलीफा या मौलवी हैं, वो खुलेआम इस बात को मानते हैं। इसलिए वे एक्स-मुस्लिम या नास्तिकों से इतनी घृणा करते हैं, जितनी कि वे हिंदुओं या यहूदियों से नहीं करते। वे एक्स-मुस्लिमों को चुन-चुन कर उनके सर कलम करते हैं। ऐसा नहीं किया तो मुसलमान झुंड में इस्लाम को छोड़कर जाएंगे। जब इतने से भी काम नहीं चलता तो मुस्लिम देशों में एंटी-अपोस्टसी (मज़हब-त्याग) और एंटी-ब्लासफेमी (ईश-निंदा) जैसे कानून थोप दिए जाते हैं। जाहिर है इनकी वजह से लगभग पूरी दुनिया में सोचने-समझने वाले मुसलमान घुटन महसूस कर रहे हैं और कुछ एक झटके में तो कुछ धीरे-धीरे इस्लाम से दूर हो रहे हैं।