नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी में नया साल युवा समाजवादी रंगरूटों के लिए खुशियां लेकर आया है. इसीलिए अब पार्टी में डैडी मुलायम की साईकिल पर बेटा अखिलेश उसी तरह सवार हो गया है. जैसे बचपन में बेटा अपने पिता की पीठ पर चढ़कर घुड़ियां - घुड़ियां खेल ता है. भाई चढ़े भी क्यों नहीं ? आखिरकार बाप की संपत्ति पर पुत्र का अधिकार तो होता ही है, लेकिन अब तो अखिलेश जवान नहीं रहे. उनका स्वयंबर भी हो गया है.
बाप को गुमराह करने वाले को पुत्र बर्दाश्त नहीं करता
उनका भी अपना परिवार है. बीवी है, बच्चे हैं. चार साल से अधिक समय से मुख्यमंत्री बनकर यूपी की सियासत के दांवपेंच सीख चुके है. बाप को कोई गलत रास्ते पर भटकाए तो पुत्र कैसे बर्दाश्त कर सकता है. इसीलिए अमर सिंह का ताल ठोककर विरोध कर रहे है अखिलेश. चाचा शिवपाल अपने सपने सँजोये बैठे हैं. अब जमाना बदल चुका है. वैसे भी अब बच्चे कहाँ सुनते हैं अपने माँ - बाप की. फिर भी नेताजी आपके पुत्र में सभी संस्कार मौजूद है.
अखिलेश में दिख रही है कूबत कमान सँभालने की
वह तो आज भी आपकी इज्जत और सम्मान करते हैं. वह तो पार्टी की भलाई के लिए युवाओं की टीम कड़ी कर चुके हैं. शनिवार को आप खुद अपने बेटे की ताकत की जोर आजमाईश देख चुके हैं. आप चरों खाने चित हो जाने के बाद भी उनकी भावनाओं की कदर नहीं करते. क्या हो गया नेताजी आपका बेटा ही अगर आपसे दूर हो गया तो कैसी विरासत. कौन संभालेगा इसे. यह कूबत आपके बेटे अखिलेश में ही दिखाई दे रही है. इसीलिए तो रविवार को अखिलेश ने खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान अपने हाथों में ले ली और आपको पार्टी का मार्ग दर्शक बना दिया.
जिसके साथ MLA होती है उसकी पार्टी
अब आप भले ही अपने छोटे अनुज (लक्ष्मण) के भड़काने पर भड़क गए हों, लेकिन सच यही है की आपके मना करने के बाद भी आपकी पार्टी के नेता मंत्री आपके पुत्र के बुलावे पर उसके अधिवेशन में शामिल होने गए. उसमें से कई तो आपके पुराने मित्र भी शामिल हैं. क्या आप उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेंगे ? नेताजी आप तो काफी समझदार हैं. राजनीति के धुरंदर खिलाडी हैं. फिर आप क्यों नहीं समझ पा रहे हैं कि जिसके साथ पार्टी के विधायक और नेता कार्यकर्ता होते हैं. पार्टी उसी की होती है.