नई दिल्लीः क्या वजह है कि जब राजीव गांधी को जन्मदिन या उनकी पुण्यतिथि पर याद किया जाता है तो बरबस ही उनके बारे में अटल बिहारी वाजपेयी के कहे शब्द भी लोगों के जेहन में गूंजते हैं। क्या वजह है कि जब वाजपेयी का जन्म दिन आता है तो सोनिया गांधी सबसे पहले गुलदस्ता लेकर आवास पर जाकर बधाई देने वालों में शुमार होती हैं। क्या वजह है कि वाजपेयी का जिक्र आते ही भाजपा की बात छोड़िए विरोधी दलों के छोटे से लेकर बड़े नेताओं का सिर भी सम्मान में नतमस्तक हो जाता है। क्या वजह है कि जब भी कश्मीर हिंसा पर बहस छिड़ती है तो संसद में कांग्रेस वाजपेयी के कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत के नारे की दुहाई देकर ही मौजूदा भाजपा सरकार पर निशाना साधती है। जी हां, ये जो चंद सवाल हैं, इन्हीं के जवाब में इस सवाल का उत्तर छिपा है कि....आजादी के बाद अटल बिहारी बाजपेयी जैसा कोई नेता क्यों नहीं पैदा हो सका....। वाजपेयी बनने के लिए कैसा व्यक्तित्व होना चाहिए।
सियासत की वो लकीर...जिसे कोई कमतर न कर सका
मौजूदा सियासत में नेता आरोप और आलोचना में फर्क भूल चुके हैं। सुबह और शाम हर पार्टी के नेता का समय विरोधी नेताओं पर निजी हमले में बीत जाती है। विरोधियों का मान मर्दन करने के लिए फब्तियां कसने से लेकर गालियां देने तक नहीं चूक रहे। मगर, वाजपेयी ने बताया कि राजनीति में कैसे गंभीर से गंभीर बात भी हल्के-फुल्के अंदाज मे सलीके से कही जाती है। संसद हो या सड़क। हर जगह वाजपेयी ने कभी किसी नेता पर निजी हमला नहीं किया। क्योंकि उन्होंने अपने लिए राजनीतिक मर्यादा की लक्ष्मण रेखा खींच रखी थी। जिसका कभी उन्होंने निजी सियासी हित के लिए उल्लंघन नहीं किया। वाजपेयी को करीब से जानने वाले बताते हैं कि खुद को हमेशा अपनी बनाई हुई लक्ष्मण रेखा के अंदर रखना ही वाजपेयी को सबसे अलग बनाता है। यही वजह है कि जितना सम्मान उनका भाजपा में है, उतना ही कांग्रेस समेत सभी विरोधी दलों में। भले ही संसद में कोई बोले तो विरोधी दलों के नेता हंगामा खड़ा कर देते थे, मगर बाजपेयी अपने दौर में जब बोलते थे तो सारे दल के सांसद खामोश होकर मंत्रमुग्ध होकर सुनते ही रह जाते थे।
वाजपेयी के महान होने के दो उदाहरण
अहसानफरामोश नहीं थे, राजीव की वजह से खुद को जिंदा बतान में नहीं रहा गुरेज
एक वाकया चर्चित है। जब राजीव गांधी की हत्या हुई तो अंग्रेजी पत्रकार करन थापर वाजपेयी के आवास पर प्रतिक्रिया लेने पहुंचे। उस समय वाजपेयी ने कहा-मैं कुछ बोलने से पहले राजीव के अहसान की जानकारी देना चाहता हूं। सच तो यह है कि मैं उनकी बदौलत ही आज जिंदा हूं। जब राजीव पीएम थे तो उन्हें पता चला कि मुझे किडनी की बीमारी है। देश में इलाज नहीं रहा तो उन्होंने दफ्तर बुलाया और कहा कि आपको यूएनओ के भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया जा रहा है। इसी बहाने अमेरिका में इलाज करा लीजिए। मैं न्यूयार्क गया और इलाज कराया। जबकि बोफोर्स मुद्दे पर विपक्ष की ओर से सबसे ज्यादा वाजपेयी हमलावर रहते थे। वाजपेयी ने कहा कि राजनीतिक मुद्दों पर विरोध अपनी जगह, मगर, व्यक्तिगत हमला नहीं कर सकता।
जब ड्रग्स के साथ पकड़ाए राहुल को छुड़ाया मगर चूं तक नहीं किया
वैसे तो यह चर्चा कई बार सामने आ चुकी है, मगर बीजेपी सांसद सु्ब्रमण्यम स्वामी जब खुद दावा करते हैं और राहुल गांधी की ओर से कोई प्रतिवाद नहीं होता तो इस वाकये को सही मानने के कुछ आधार मिलते हैं। वाकया यह है कि वाजपेयी जब प्रधानमंत्री रहे तो राहुल गांधी सफेद पाउडर और पैसे के साथ अमेरिका एयरपोर्ट पर पकड़े गए थे। तब सोनिया गांधी ने वाजपेयी से मदद मांगी तो वाजपेयी ने तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश को फोन कर राहुल की रिहाई कराई। उस समय चाहते वाजपेयी तो यह मामला सार्वजनिक कर राहुल की राजनीति की संभावनाएं खत्म कर सकते थे, मगर वाजपेयी ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए विरोध पार्टी के युवराज का इस्तेमाल नहीं किया। यही वजह है कि सोनिया गांधी भी आज वाजपेयी के शुभचिंतकों में शामिल हैं।