पाकिसातन के करीब सौ कलाकार भारत से गाढ़ी कमाई करते है । बीते डेढ़ बरस में 300 से ज्यादा आंतकवादी सीमा पार से कश्मीर में घुस चुके है । और भारत का वीजा लेकर पाकिस्तान से आये 15 हज़ार से ज्यादा नागरिक देश के अलग अलग हिस्सो में लापता हो गये यानी 15 हज़ार नागरिक देश के किन हिस्सो में कहां छुपे है कोई नहीं जानता । तो फिर अब भारत सरकार का रुख़ होना क्या चाहिये । क्योकि झटके में बालीवुड पाकिसातनी कलाकारों के भारत आने पर बंट रहा है । तो बारामूला के हमले ने कश्मीर में छुपे आंतकवादियों को लेकर सवाल खड़े कर दिये है । लेकिन इस बहस और गुस्से में कोई इस सच को नहीं कह रहा है कि जो पाकिसातनी नागरिक बक़ायदा वीज़ा लेकर भारत आये वह यहा आकर लापता कैसे हो जाते है । क्योकि संसद में पेश सरकार के ही आंकड़े बताते है कि 3 दिसबर 2014 तक 15,000 से ज्यादा पाकिसातनी नागरिक वीज़ा लेकर भारत आये मगर अब चंपत है । और इनमें से सबसे ज्यादा पाकिस्तानी नागरिक उसी राजस्थान में चंपत हुये जो पाकिसातन से युद्द के दौर मे सबसे संवेदनशील माना जाता है । राजस्थान की सीमा पार ही पाकिसातनी की फौज फ़िलहाल सैनिक अभ्यास कर रही है । लेकिन महत्वपूर्ण है कि राजस्थान में पाकिसातन के 8500 नागरिक लापता हो गये । लेकिन किसी ने कभी कोई फ़िक्र कि ही नहीं । और लगातार जिस मुब्ई -गुजरात के समुद्री सीमाई इलाके में पाकिसातन की तरफ से आंतकवादियों के आने की बात हो रही है । उन क्षेत्रों में भी हज़ारों पाकिसातनी नागरिक चंपत हो गये लेकिन उन्हे आज तक खोजा नहीं जा सका है ।
महाराष्ट्र में 2023 पाकिसातनी नागरिक लापता है । तो गुजरात में 1779 पाकिस्तानी नागरिक लापता है । और पाकिस्तानी नागरिक क्या आंतकवादियों के लिये स्लीपर सेल्स में तब्दिल हो जाते है जब ये बहस आईबी और रा कर रहा है तब समझना होगा कि अगर हाई अलर्ट पर देश के कई हिस्से है तो पाकिस्तानी नागरिक भी सिर्फ सीमावर्ती राज्यो में ही नहीं बल्कि मध्यप्रेदश में 1779 नागरिक वीजे लेकर पहुंचे फिर चंपत हो गये । तो -यूपी में भी 350 से ज्यादा पाकिसातनी नागरिक लापता है । यानी पाकिसातनी नागरिक देश के कई हिस्सो में बिखरे पड़े हैं । और इनके लापता होने की जानकारी होने के बावजूद केन्द्र या राज्य सरकार की कोई एजेंसी उन्हे खोज पाने में सफल नहीं हो पाई है । मसलन यूपी में पाकिस्तानी नागरिक जिले दर जिले मौजूद होगें । क्योंकि सरकार का ही कहना है कि लखनऊ से 34, बरेली से 25,कानपुर से 29,मेरठ से 22, मुरादाबाद से 17, बनारस से 14, इलाहाबाद से 15, गोरखपुर से 10 और अलीगढ़ से 10 पाकिस्तानी नागरिक पहुंचे जरुर लेकिन वापस पाकिस्तान नहीं गये । तो सवाल सिर्फ कलाकारों का नहीं है, अवैध रुप से भारत में रह रहे नागरिकों का भी है। क्योंकि सच यही है कि कलाकार बाजार से आकर्षंण में भारत आता है तो अवैध रुप से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक में कौन किस हसरत से यहां है-कहा नहीं जा सकता। लेकिन पाकिस्तानी आतंकवादियों की नजर में कद उसका ही बड़ा होगा-जो यहां भारत के खिलाफ काम कर दे या कहें कि उनकी बिसात पर मुहरा बन जाए। तो चिंता वीजा लेकर भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों पर ज्यादा होनी चाहिए न कि पाकिस्तानी कलाकारों पर। और ऐसे में छेोटी बहसो में आंतकवाद की मुश्किलातों को हवा में उड़ाया ना जाये । क्योंकि याद कीजिये तो 1948 में भारतीय सेना ने बारामूला में ही पाकिस्तानी सेना को रोका था । और 2016 में पाकिस्तानी सेना के सेफ रास्ते के तहत बारामूला के इलाके में ही आंतकवादी भारतीय सेना पर हमले कर रहे है । विभाजन के बाद जो पहला हमला 22 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 1947 के बीच कश्मीर में हुआ वह मुज्जफराबाद के रास्ते बारामूला तो मीरपुर के रास्ते राजौरी में हुआ था । और भारत की तरफ से जो पहला जबाब पाकिस्तानी सेना को दिया गया था वह 27 अक्टूबर से 17 नवबंर 1947 के बीच को बारामूला और गुलमर्ग से लेकर उड़ी तक के क्षेत्र में दिया गया ।तो क्या उड़ी हमले के बाद बारामूला में जिस तरह आंतकवादियो ने सेना हेडक्वाटर को निशाने पर लिया है वह पाकिसातन की रणनीति के लिये सबसे मुफिद इलाका है । या फिर भारत में लगातार आंतकी घुसपैठ का जो रास्ता है वह झेलम दरिया के रास्ते बारामूला की ही उस रिहाइश जमीन को सबसे ज्यादा छूता है जहां से कश्मीर में आंतकवादियो का घुलमिलकर छुप जाना सामान्य सी बात है । और अब जब सर्जिकल अटैक के बाद पाकिसातन से युद्द सरीखे तनाव बढ़े हैं तो छुपे हुये आंतकवादियो के जरीये हमलो की शुरुआत है । क्योकि रक्षा मंत्री पार्रिकर के मुताबिक 2015 में 118 घुसपैठ की घटनाओ में से 33 में आंतकवादी आने में सफल रहे । 2016 में मार्च तक 24 घुसैपेठ की घटनाओ में 18 में आंतकवादी घुसने में सफल रहे । और बीते छह महीने में यानी सर्जिकल अटैक से पहले यानी -अप्रैल से सिंतबंर तक के दौर में सेना मानती है कि घुसपैठ में तेजी आई । और हर घुसपैठ में औसतन 4 से 16 आंतकवादियो की घुसपैठ एक बार में होती है । यानी मौजूदा वक्त में घाटी में 300 से ज्यादा आंतकवादियो के छुपे होने से नकारा नहीं जा सकता है । और ध्यान दें तो सर्जिकल अटैक के बाद सेना की गश्त और सुरक्षाकर्मियो की धरपकड़ घाटी में तेज हुई है । ऐसे में लाइन आफ कन्ट्रोल पर सेना का सीजफायर तोडना और बारामूला में आंतकवादियो का हमला । पाकिसातन की उस रणनीति का हिस्सा है जहा वह सीमा पर गोलाबारी कर घाटी में छुपे आंतकवादियो को इशारा देता है कि वह हमला करें । इसीलिये बीते 48 घंटे के भीतर 9 जगहो पर पाकिसातन ने सीजफायर तोडा । सेना गोलाबारी का जबाब देने में उलझी तो आंतकवादी हरकत में आये । यानी भारत के सामने नया सवाल सिर्फ पाकिसातनी सेना के जवाब का भर का नहीं है बल्कि घाटी में छिपे स्लीपर सेल्स को काउंटर करने का भी है ।