नई दिल्ली : डिजिटल मीडिया के दौर में जहाँ प्रिंट और प्रकाशन हाउसों के आस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है वहीँ अमेरिका के कहानी कार अनुराग शर्मा ने अब किस्से, कहानियों को लोगों तक पहुँचाने के लिए नया रास्ता चुना है। उन्होंने इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य की कालजयी और भूली बिसरी कृतियों को आडियो स्वरूप में डालकर प्रौद्योगिकी की मदद से किस्सागोई की नयी पहल की है। इनमें प्रेमचंद, चंद्रधरशर्मा गुलेरी, सुदर्शन से लेकर कमलेश्वर, स्वयं प्रकाश और आधुनिक कहानीकारों की रचनाएं शामिल हैं।
अमेरिका में रहने वाले अनुराग शर्मा स्वयं कहानीकार हैं और पिछले कुछ वर्षों से ऐसे ही प्रयासों में संलग्न हैं। उन्होंने प्रेमचंद, भीष्म साहनी सहित विभिन्न हिन्दी रचनाकारों की 250 से अधिक कहानियों के आडियो स्वरूप को आर्काइव डाट काम तथा अन्य प्लेटफार्म पर डाला है। इन कहानियों को कोई भी व्यक्ति सुन सकता है और डाउनलोड भी कर सकता है। उन्होंने बताया कि कहानियों के इन आडियो संस्करण पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
भारत में भी प्रकाशन हाउसों का भविष्य खतरे में
किताबों के ई- एडिशन आने के बाद ज्यातर लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। दिल्ली के दरियागंज इलाके में मौजूद कुछ पब्लिशर्स का कहना है डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के उनके प्रकाशन हाउस खतरे में हैं। प्रकाशन जे जुड़े लोगों की माने तो राजकमल, वाणी और प्रभात जैसे कई नामी प्रकाशन हाउस सिर्फ उनकी किताबों को छापते है जिनसे उन्हें मुनाफा होने की आशंका है। क्योंकि ज्यादातर किताबों के ई- संस्करण मौजूद हैं और किताबे खरीदने वालों की संख्या में भारी कमी आयी है।
वहीँ अमेरिका एके कहानीकार अनुराग कहते हैं कि वाचिक परम्परा बीच बीच में टूटती है। किन्तु यही परंपरा पुल भी बनाती है। मसलन, विदेश में पाकिस्तान के पाठक हिन्दी साहित्य और हिन्दी के पाठक उर्दू साहित्य को लिपि बाधा के कारण प्राय: पढ़ने में दिक्कत महसूस करते हैं। पर यदि इन भाषाओं के साहित्य को वे जब आडियो स्वरूप में सुनते हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। उन्होंने बताया कि पुरानी कहानियों को सुनने के साथ इनके बारे में जानने की इच्छा पैदा होती है। मिसाल के तौर पर ‘‘हार की जीत’’ जैसी प्रसिद्ध कहानी के लेख क सुदर्शन के बारे में हम नहीं के बराबर जानते हैं।