लखनऊ : कन्नौज जिले में पांच वर्ष पहले लोकसभा के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के सांसद निर्विरोध निर्वाचित होने के मामले में जांच शुरू हो गई है।
CBCID की टीम ने इस जांच के लिए कन्नौज जिले में डेरा डाल दिया है। कल रविवार को CBCID टीम ने कन्नौज के कई मीडिया कर्मियों व राजनीति क दलों से जुड़े लोगों के अलावा स्थानीय नागिरकों के भी बयान दर्ज किए।कल रात तक CBCID टीम बयान लेने के लिए डटी रही। CBCID की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को जल्द दी प्रस्तुत की जाएगी । जांच के दायरे में अंनौज जिला प्रशासन के कई अधिकारी भी हैं। बताया जाता है कि डिंपल यादव के नामांकन के बाद जिले के अधिकारियों ने भी किसी अन्य का नामांकन न होने के लिए यादव परिवार को पूरा सहयोग दिया था।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सूबे में जनता का भरपूर समर्थन मिला। इसके बाद यहां से निर्वाचित सांसद अखिलेश यादव को विधानसभा दल का नेता चुन लिया गया। अखिलेश यादव के प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज की सीट खाली हो गई। इससे कन्नौज सीट खाली हो गई। यहां से वर्ष 2012 में डिम्पल यादव को उपचुनाव में उतारा गया। नामांकन के अंतिम दिन तक किसी के पर्चा न दाखिल करने पर वह निर्विरोध निर्वाचित हो गईं। डिंपल यादव के निर्विरोध चुने जाने को लेकर वोटर्स इंटरनेशनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत गांधी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनकी पार्टी समेत सभी प्रत्याशियों को बंधक बना लिया गया था फलतः कोई भी प्रत्याशी नामांकन दाखिल नहीं कर सका।
कोर्ट के आदेश पर CBCID ने जांच शुरू कर दी है। मीडिया से प्राप्त सूचनानुसार रविवार को CBCID कानपुर सेक्टर के निरीक्षक नवीन चंद्र कटियार व उनके सहयोगी सुबोध कटियार जिले में आए और उन्होंने मीडिया, राजनीतिक कार्यकर्ताओ और कुछ स्थानीय नागरिकों कबबयान लिए। रात तक टीम जिले में घूमती रही। अलग-अलग दर्जन भर लोगों से बयान दर्ज किए गए। अब जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई होगी। जांच टीम ने बताया कि बयान दर्ज किए जा रहे हैं, इससे ज्यादा जानकारी देने से उन्होंने इन्कार किया। डिंपल यादव वर्तमान में कन्नौज से समाजवादी पार्टी की सांसद हैं।