आत्मा एक है।
शरीर एक है।
खून एक है।
खून का रंग एक है।
घर एक है।
परिवार एक है।
कुटुंब एक है।
समाज एक है।
देश एक है।
देश का
तिरंगा एक है।
दुनिया एक है।
यहाँ की
मिट्टी एक है।
मिट्टी की खुशबु
खुशबु एक है।
बहने वाली
हवा एक है।
दिन एक है।
रात एक है।
दुनिया को शीतल
करने वाला
चाँद एक है।
दुनिया को रोशन
करने वाला
सूरज एक है।
दुनिया बनाने वाला
ईश्वर एक है।
उसकी भक्ति
करने वाला
भाव एक है।
यहाँ बहुत कुछ
एक है।
पर दुनिया में
रहने वाला इंसान
एक नहीं है।
यही सबसे बड़ा
भेद है।
औऱ यही सबसे
बड़ा खेद है।
वरना
दुनिया तो एक है।
@ vineetakrishna